भोपाल। Kishore Kumar Birth Anniversary: हरफनमौला और अलहदा सिंगर किशोर कुमार का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। किशोर दा के फैंस देशभर से खंडवा उनके समाधि स्थल पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दे रहे हैंझ इसके साथ ही स्कूली बच्चों ने भी समाधि पर पहुंचकर किशोर दा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, तो वहीं बाहर से आए कलाकारों और गायकों ने गीत गाकर उन्हें स्वरांजलि दीं। बता दें कि हरफनमौला सिंगर किशोर दा की जयंती 4 अगस्त हो या 13 अक्टूबर पुण्यतिथि हो, लेकिन उनके हजारों फैंस खंडवा आकर सुरमई श्रद्धांजलि देते हैं।
प्रशंसक आकर सुरमई श्रद्घांजलि देते हैं
आपको बता दें कि आज किशोर दा का 94वें वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। इनका जन्म खंडवा में हुआ था। उनकी समाधि पर जन्म दिवस 4 अगस्त हो या 13 अक्टूबर पुण्यतिथि हजारों किशोर प्रशंसक आकर सुरमई श्रद्घांजलि देते हैं। 4 अगस्त 1929 को खंडवा के गांगुली परिवार को जन्म हुआ था और उनकी दुखद मृत्यु 13 अक्टूबर 1987 को मुम्बई में हुई थी। हमारे संवाददाता शेख रेहान ने जायजा लिया है।
आज भी फैंस के जहन में जिंदा
‘मेरे सपनों की रानी’ और ‘लग जा गले’ जैसे कई सदाबहार गाने वाले बॉलीवुड के अलबेले और सदाबहार गायक किशोर कुमार भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बेहतरीन आवाज और शानदार कलाकारी ने उन्हें आज भी फैंस के जहन में जिंदा रखा है। किशोर कुमार गायिकी और अभिनय के अलावा अपने मनमौजी व्यक्तित्व के लिए भी जाने थे।
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इंदौर के क्रिश्चियन कालेज से पढ़ाई की
हम बात कर रहे हैं मालवा को देश और दुनिया में पहचान दिलाने वाले सदी के महान गायक किशोर कुमार की। वैसे उनका असली नाम तो आभास कुमार गांगुली था, लेकिन वो किशोर कुमार के नाम से दुनियाभर में मशहूर हुए। इंदौर के क्रिश्चियन कालेज से उन्होने पढ़ाई की थी। किशोर कुमार ने 1948 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की।
मार्कशीट का जिक्र है
किशोर कुमार की कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र कहते हैं कि बॉलीवुड के सदाबहार गायक किशोर कुमार एक ऐसा नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें गर्व है कि उनके कॉलेज से इस महान गायक ने पढ़ाई की है। उनके चाहने वाले बताते है कि दोस्ती के मामले में किशोर का कोई जवाब नहीं था, वे अपने दोस्तों के लिए बड़े-बड़े जोखिम उठा लेते थे।
इमली का पेड़ था उनका अड्डा
इंदौर से पढ़ाई छोड़कर मुंबई गए किशोर कुमार का पसंदीदा अड्डा कॉलेज परिसर में लगा इमली का पेड़ था। वे कॉलेज में तड़ी मारकर इस पेड़ के नीचे यार-दोस्तों के लिए गाने की महफिल जमाने थे। उन्होंने यहां पर बैठकर कई धुनों को ईजाद किया, जो आगे चलकर बहुत फेमस हुईं। किशोर कुमार को चाहने वाले किशोर सचदेवा का सपना है कि किशोर दा की एक प्रतिमा क्रिश्चियन कॉलेज में लगाई जाए। इतना ही नहीं उनका एक मंदिर भी बनाया जाए।
हॉस्टल खंडहर में तब्दील
किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान थे। उनसे जुड़े कई दिलचस्प किस्सों का गवाह क्रिश्चियन कॉलेज रहा है। हालांकि, कॉलेज का 100 से ज्यादा पुराना हॉस्टल मौसम की मार सहते-सहते खंडहर में तब्दील हो गया है। करीब 60 कमरों के जिस हॉस्टल में किशोर कुमार रहते थे, अब वो इतना जीर्ण-शीर्ण हो चुका है कि स्थानीय प्रशासन ने इसे खतरनाक भवन घोषित कर दिया है। लोगों को इसके पास जाने की मनाही है। फिर भी इसे दूर से देखकर लोग किशोर कुमार को याद कर लेते हैं।
सुरीली आवाज खामोश हुए 36 साल हो चुके
किशोर कुमार की सुरीली आवाज को खामोश हुए 36 साल हो चुके हैं। 13 अक्टूबर 1987 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। उनकी यादें इंदौर से भी जुड़ी है। यहां के क्रिश्चियन कॉलेज के हॉस्टल में रहकर उन्होंने पढ़ाई की थी। किशोर दा की मार्कशीट और उनके एडमिशन से जुड़े दस्तावेज आज भी कॉलेज में नजर आते हैं।
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