पटना। पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। मामले में मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला आने के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से मुखातिब याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।
राज्य सरकार फैसले का करेगी सर्वेक्षण
कुमार ने बताया पीठ ने खुली अदालत में कहा कि वह सभी याचिकाओं को खारिज कर रही है। उन्होंने कहा हमें अभी इस आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। फैसला देखने के बाद ही हम कुछ और कह सकेंगे। बेशक, फैसले का तात्पर्य यह है कि राज्य सरकार सर्वेक्षण कर सकती है। हालांकि, हम इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।
बिहार सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में
बिहार की नीतीश कुमार की सरकार जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में है। बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने 2019 और 2020 में विधानसभा और विधान परिषद दोनों ही सदनों से इस जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को पास करा चुकी है।
साथ ही सरकार ने जातिगत जनगणना की शुरुआत इस साल के 7 जनवरी से की थी बता दें कि यह पहले चरणा था जो 21 जनवरी तक चला। वहीं दूसरे चरण की जनगणना 15 अप्रैल से 15 मई तक चली थी।
बीजेपी अध्यक्ष ने फैसले का किया स्वागत
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद संजय जयसवाल ने जातीय गणना को लेकर कहा कि हम पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। पहले दिन से बिहार भाजपा ने जातीय गणना का समर्थन किया है। उस वक्त के वित्त मंत्री रहे तारकिशोर प्रसा ने ही सबसे पहले जातीय गणना के लिए 500 करोड़ के आवंटन को मंजूरी दी थी।
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