Cheetah in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में रह रहे चीतों को अब बाड़े में लाने का काम शुरू हो गया है. अब तक छह चीतों को बाड़े में लाया जा चुका है. वहीं इन चीतों के गले में लगे रेडियो कॉलर भी हटा दिए गए हैं. बता दें विशेषज्ञों के अनुसार रेडियो कॉलर ही चीतों की मौत की वजह बन रहे थे. कॉलर की वजह से घाव हो रहा था.
पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव के अनुसार संक्रमण वाले तीन चीते उपचार के बाद स्वस्थ हो रहे हैं. 11 जुलाई को चीता तेजस और 14 जुलाई को सूरज की मौत के बाद अन्य चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इसमें तीन और चीतों की गर्दन में संक्रमण मिला था. रेडियो कॉलर की वजह से घाव हुआ. जो इन चीतों की मौत का कारण बना.
ये चीते लाए गए बाड़े में
कूनो नेशनल प्रबंधन की ओर से पांच दिन में छब चीतों को खुले जंगल से बाड़े में लाया गया है. इनमें पवन, गौरव, शौर्य, आशा, धीरा, गामिनी को ट्रेंकुलाइज कर बाड़े में लाया गया है. एक अन्य चीता निर्वा को भी ट्रैंकुलाइज कर बाड़े में लाने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी है. बाड़े में लाए गए इन चीतों के गले से रेडियो कॉलर हटा दिए गए हैं.
विशेषज्ञों की जांच के अनुसार कॉलर आईडी के इंफेक्शन की वजह से चीतों की मौत हो रही थी.इसे देखते हुए विशेषज्ञों ने तय किया था कि अब चीतों के गले से रेडियो कॉलर हटाए जाएंगे. इसी के चलते अब खुले जंगल में घूम रहे चीतों को वापस बाड़े में लाया जा रहा है.पांच चीतों में स्किन इन्फेक्शन की पुष्टि हो चुकी है. दो चीते तेजस और सूरज की मौत इसी वजह से हुई.
अनफिट है कॉलर आईडी
बताया जा रहा है कि चीतों को जो कॉलर आईडी लगाई गई थी, वो कॉलर आईडी टाइगर के लिए डिजाइन की गई है. इन कॉलर आईडी में चीते अनफिट थे. इन कॉलर आईडी की वजह से चीतों की गर्दन पर घाव हो रहा है और उसमें कीड़े पड़ रहे हैं.
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