श्योपुर। Kuno National Park: मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनों नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिललिसा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक सप्ताह के अंदर दो चीतों की मौत हो गई है। जिसके बाद सरकार का प्रोजेक्ट चीता खतरे में नजर आ रहा है। बीते दो दिन पहले ही तेजस ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद अब शुक्रवार को आठवें चीते सूरज की मौत हो गई है। इसके बाद से वन विभाग पर सवाल उठने लगे हैं।
एक हफ्ते के अंदर दो की मौत
कूनो नेशनल पार्क में एक सप्ताह में दो चीतों की मौत हो चुकी है। जिसके बाद से अब वन विभाग पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। आपको बता दें चीता तेजस के अंग ठीक तरीके से काम नहीं कर रहे थे। जिसके बाद अब
चीता सूरज के गर्दन और पीठ पर भी घाव के निशान मिले थे। यानि अब यहां लाए गए कुल 24 चीजों में से 8 ने दम तोड़ दिया है।
सूरज की मौत से ‘प्रोजेक्ट चीता’ को झटका
आपको बता दें 12 जुलाई को तेजस नामक नर चीते की मौत हो गई थी। को इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से श्योपुर जिले के केएनपी में लाया गया था। इसके साथ ही मार्च से अब तक केएनपी में नामीबियाई चीता ‘ज्वाला’ से पैदा हुए तीन शावकों सहित सात चीतों की मौत यहां हो चुकी है। इससे पिछले साल सितंबर में बहुत जोर शोर से चीतों को देश में फिर से बसाने की योजना के तहत शुरु किए गए ‘प्रोजेक्ट चीता’ को झटका लगा है।
तेजस की गर्दन पर भी थे चोट के निशान
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन्यजीव जे एस चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया गया था कि केएनपी में लगभग चार साल के तेजस की संभवत: आपसी लड़ाई के कारण मौत हो गई थी। अधिकारी ने कहा था कि देश में चीतों को बसाने के लिए दक्षिण अफ्रीका से लाया गया चीता घटना के समय एक बाड़े में था। एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार निगरानी दल ने मंगलवार सुबह करीब 11 बजे बाड़ा संख्या-6 में तेजस की गर्दन पर कुछ चोट के निशान देखे थे। जिसके बाद पशु चिकित्सकों को बुलाया गया था। पर इसी के तीन दिन के अंदर ही दूसरे चीते सूरज ने भी दम तोड़ दिया।
पहले भी हो चुकी है मौत
नामीबियाई चीतों में से एक, साशा की 27 मार्च को किडनी से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई, जबकि दक्षिण अफ्रीका के एक अन्य चीते, उदय की 13 अप्रैल को मृत्यु हो गई। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की 9 मई को एक नर चीते के साथ हिंसक झड़प में चोट लगने से मृत्यु हो गई। पिछले साल 17 सितंबर को एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। इसके बाद इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे।
24 में से घटकार रहे गए 16 चीते
मीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए तथा केएनपी में हुए चार शावकों समेत कुल 24 चीतों में से राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की संख्या अब घटकर 16 रह गयी है। धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्यजीव को 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इससे पहले दिन में एक वन अधिकारी ने बताया था कि दो और चीतों प्रभाष और पावक को सोमवार को केएनपी के जंगल में छोड़ दिया गया जिससे जंगल में छोड़े गए चीतों की संख्या 12 हो गई है। श्योपुर के संभागीय वन अधिकारी पी के वर्मा ने कहा कि दोनों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
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