आज का मुद्दा: मध्यप्रदेश की राजनीति में किलेबंदी की सियासत फिर देखने को मिल रही है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में सिंधिया और शिवराज की जुगलबंदी देखने को मिली। दोनों राजघरानों की पुरानी अदावत फिर देखने को मिली। वहीं सीएम शिवराज भी राघौगढ़ के राजा को घेरते नजर आए।
पिता-पुत्र के गढ़ पर गरजे
सिंधिया उस पिता-पुत्र के गढ़ यानी राघौगढ़ में ही गरज रहे थे। राघौगढ़ में लाड़ली बहना सम्मेलन में सीएम शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके समर्थक मंत्री पहुंचे थे। 2020 की उठापटक के बाद ये पहला मौका था जब शिवराज और सिंधिया एक साथ दिग्गी राजा के गढ़ में पहुंचे।
मंच से सिंधिया ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और सीएम शिवराज की जमकर तारीफ की और ये भी कहते नजर आए कि राघौगढ़ को सीएम शिवराज की जरूरत है। वहीं सीएम शिवराज ने भी 10 साल की दिग्विजय सरकार को निशाने पर लिया।
2003 के चुनाव की याद दिलाई
राघौगढ़ के राजा के गढ़ में सिंधिया का गरजना ग्वालियर और गुना की पुरानी अदावत को याद दिला रहा था। कांग्रेस ने भी निशाना साधते हुए सिंधिया पर पलटवार करते हुए 20 साल पुराने, साल 2003 के चुनाव की याद दिलाई और 2023 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा किया।
दिग्विजय सिंह का अभेद किला है राघौगढ़
जाहिर तौर पर राघौगढ़, दिग्विजय सिंह का अभेद किला रहा है और अब उनके बेटे और राघौगढ़ विधायक, जयवर्धन सिंह उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इस हुंकार से विपक्ष और जनता को ये साफ मैसेज है, कि किलों की घेराबंदी की रणनीति के साथ पार्टियां आगे बढ़ रही हैं। इससे पहले छिंदवाड़ा में भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आईं थीं। आने वाले दिनों अगर कांग्रेस भी किसी बीजेपी दिग्गज के गढ़ में हुंकार भरते नजर आए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।ज़
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