JEE Advanced 2023: जेईई एडवांस्ड 2023 का रिजल्ट बीते दिनों जारी हो चुका है। कोटा की रहने वाली एक बेटी ने बहुत सारी मुश्किलों से लड़ते हुए इस परीक्षा को पास किया है। आपको एक कहानी बता रहे हैं कोटा की बेटी कशिश की। कशिश ने तमाम परिस्थितियों से लड़ते हुए देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक आईआईटी प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड 2023 को क्रैक किया। इसी के साथ कशिश अपने परिवार की पहली आईआईटीयन बनेगी। उसकी सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। कशिश ने JEE- एडवांस्ड में कैटेगिरी रैंक 1216 प्राप्त की है। वहीं जेईई-मेन में कैटेगिरी रैंक 5557 थी।
ऑटो रिक्शा का क़िस्त अभी भी बकाया
कशिश से बात करने के बाद बताया कि हम चार बहनें हैं और मैं सबसे बड़ी हूं। पिता भूपेन्द्र पहले छावनी में एक किराए की दुकान में मोबाइल रिचार्ज और नल एवं बिजली के बिल जमा करने का काम करते थे, लेकिन सारा काम ऑनलाइन होने से उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी। उसके बाद परिवार का खर्चा चलाने के लिए करीब पांच साल पहले उन्होनें लोन लेकर ऑटो रिक्शा लिया था, जिसकी किस्तें अभी तक जमा हो रहे हैं
पापा के ब्रेन हैमरेज होने से बढ़ गई परेशानियां
कशिश ने बताया कि पापा का जब दुकान बंद हो गया उसके बाद उन्होंने ऑटो लिया था। जैसे-तैसे कर के परिवार की खर्चा चल रही थी। पापा को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है, पैसों की तंगी और पारिवारिक जिम्मेदारियों में इतने उलझे रहते थे कि नियमित दवाईयां नहीं ले पाते थे, फिर पिछले साल 31 दिसंबर 2022 को अचानक बीपी बढ़ा और दिमाग की नस फट (ब्रेन हैमरेज) हो गई। पापा करीब डेढ़ महीने अस्पताल में थे। मेरी बड़ी बुआ ने बहुत मदद की और उनका इलाज कराया।
आज छह महीने हो गए लेकिन, पापा अभी भी पूरी तरह फिट नहीं हुए हैं। किसी का सहारा लेकर कुछ कदम चल पाते हैं। इसी बीच अचानक गिरने से हाथ में भी फ्रैक्चर हो गया। ऑटो बंद होने से थोड़ी बहुत कमाई होती थी, वो भी बंद हो गई। एक बुआ भी हमारे साथ रहती हैं, वे ब्यूटी पॉर्लर चलाती हैं, जिससे रोज का पेट भरने जितना पैसों का जुगाड़ हो पाता है।
पढ़ाई कर के ही स्थिति को मजबूत बनाया जा सकता है
कशिश का कहना है कि परिवार की स्थिति बेहद कमजोर है और मैं यह बात अच्छे से जानती हूं कि पढ़ाई करके ही स्थिति को मजबूत किया सकता है। पापा की तबीयत काफी खराब थी बावजूद इसके मैंने जेईई की तैयारी के लिए कोचिंग जाना बंद नहीं किया। पापा की देख-भाल के साथ एग्जाम की तैयारी भी कर रही थी। ब्रेन हैमरेज के बाद सुबह पापा का ऑपरेशन हुआ और मैं उसी दिन शाम वाले बैच में पढ़ने कोचिंग पहुंच गई थी। पहले तो पापा कोचिंग छोड़ने-लेने आते थे, लेकिन बाद में मैं अकेली आने जाने लगी।
कोचिंग वालों ने की फीस आधी
कशिश के दादा यशराज जो गार्ड का काम करते हैं उन्होंने बताया कि बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा देना हीं परिवार की जिद है। कशिश के पापा ग्रेजुएट हैं और मां भी पोस्ट ग्रेजुएट है। चारों बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, इसलिए स्थिति सही नही होते हुए भी उन्होनें प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया। फीस के लिए भी उनको कई लोगों से कर्जा लेना पड़ा। कशिश ने बताया की तैयारी करने के लिए अच्छे संस्थान में एडमिशन लेना चाहती थी और मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं थे तो हमने अपने परिवार के स्थिति के बारे में कोचिंग वालों को बताया तो उनलोगो ने मेरी फीस आधी कर दी।
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