शाहजहांपुर। शाहजहांपुर जिले की अंजू वर्मा के सामने पति की मौत के बाद चार बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने मुसीबतों का सामना करते हुए रात में कचौड़ी बेचना शुरू किया और अब उन्हें लोग ‘कचौड़ी वाली अम्मा’ के नाम से पुकारने लगे हैं।
10 बजे अपनी कचौड़ी बेचने की दुकान लगाती हैं
शाहजहांपुर जिला मुख्यालय के कोतवाली के पास सुनहरी मस्जिद के सामने रहने वालीं अंजू रात में 10 बजे अपनी कचौड़ी बेचने की दुकान लगाती हैं और उनकी दुकान रात 10 बजे से शुरू होकर सुबह तीन से चार बजे तक चलती है।
घर को चलाने की समस्या
अंजू वर्मा ने बताया कि पांच साल पहले उनके पति विनोद वर्मा की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गयी थी जिसके बाद उनके सामने घर को चलाने की समस्या खड़ी हो गई। उन्होंने कहा कि उनके पति भी कचौड़ी बेचते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद एक महीने तक काम बंद रहा और घर में खाने-पीने की चीजें जुटाना एक मुसीबत बन गई।
पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया
इसके बाद अंजू ने अपने पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया और अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं, तब अंजू का कचौड़ी कारोबार शुरू होता है। उन्होंने रात में दुकान लगाने की एक वजह ये भी बताई कि उनके पास कोई अपनी जगह नहीं है और रात में दुकानदारों के चबूतरे खाली होते हैं।
अंजू ने कि तीन बेटियां हैं
उन्होंने कहा कि रात में सड़क पर खड़े होकर कचौड़ी खाने वालों में अध्यापक, पुलिसकर्मी, व्यापारी और नेता सहित सभी वर्गों के लोग शामिल होते हैं। अंजू ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं, लेकिन कचौड़ी बेचकर वह अपनी एक बेटी की शादी कर चुकी हैं। उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है जो कॉलेज में पढ़ाई करता है।
सुबह तीन-चार बजे तक करती हैं दुकान बंद
अपनी दिनचर्या के बारे में अंजू ने बताया कि वह सुबह तीन-चार बजे तक दुकान बंद करती हैं और इसके बाद सोती हैं, लेकिन दिन में दो बजे जाग जाती हैं और बाजार से सामग्री एकत्र करके फिर 10 बजे रात तक दुकान लगा देती हैं।
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