उज्जैन। इस्कॉन मंदिर द्वारा हर वर्ष भगवान जगन्नाथ पुरी की यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा उज्जैन चौराहे से निकलकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए इस्कॉन मंदिर पहुंचती है। भगवान जगन्नाथ पुरी की यात्रा से ठीक 1 महीने पहले भगवान श्री कृष्ण बलभद्र और सुभद्रा की ड्रेस बंगाल से आए कारीगरों द्वारा तैयार कराई जाती है। जिसमें सिल्क और विशेष मोती का उपयोग किया जाता है। जिसे कारीगर दिन रात मेहनत कर तैयार करते हैं। जिसकी लागत ढाई लाख आती है।
शहर भर में निकलेगी यात्रा
20 जून को इस्कॉन मंदिर की रथ यात्रा निकास चौराहे से निकलेगी और शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए इस्कॉन मंदिर पहुंचेगी। भगवान जगन्नाथ की ड्रेस तैयार करने के लिए कारीगर रात दिन मेहनत कर रहे हैं। निर्मला नंद दास, पंकज दास, विजय, बाबुसोना, षट्भुज प्रकाश, ब्रजेन्द्र, दीवाकर दीप सहित अन्य कारीगर भगवान के वस्त्र बनाने में जुटे हुए हैं। ये सभी हाथों से नक्काशी और कारीगरी कर खूबसूरत वस्त्र भगवान के लिए बना रहे हैं।
रेशमी वस्त्र बनाने में जुटे कारीगर
भगवान के स्वस्थ होने पर उज्जैन के इस्कॉन मंदिर के भीतर एकांतवास में पुजारी उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए उपचार कर रहे हैं। 20 जून को भगवान स्वस्थ होंगे तथा रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। इस दिन भगवान राजसी पोशाक धारण करेंगे। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदेवजी के लिए नई पोशाक बनाने में जुटे 15 से अधिक कारीगर बंगाल, वृंदावन और उज्जैन के हैं। पोशक बनाने में विशेष रेशम का उपयोग किया गया है।