Water Birth: आमतौर पर बच्चे के जन्म के समय महिला को काफी दर्द झेलना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते है कि बच्चे के जन्म के समय वाटर बर्थ प्रोसेस का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चे के जन्म देने के समय इस्तेमाल होने वाले इस तरीके में लेबर पेन को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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क्या होता है वाटर बर्थ?
बता दें कि वाटर बर्थ को हाइड्रोथेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें माँ गर्म पानी के टब या छोटे से पुल में बच्चे को जन्म देती है। टब में गर्म पानी मां की मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है। इसके अलावा गर्म पानी तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे मां के लिए डिलीवरी पर ध्यान देना आसान हो जाता है।
इसके अलावा गर्म पानी मां के वजन को सहारा देने में भी मदद करता है, जिससे जोड़ों और रीढ़ पर दबाव कम हो सकता है। इससे मां को डिलीवरी के दौरान अलग-अलग पोजिशन में जाने में आसानी हो सकती है, जिससे डिलीवरी में कम समय लगता है।
हालांकि, वाटर बर्थ में कुछ जोखिम भी है। अगर टब में पानी ठीक से नहीं रखा गया तो संक्रमण का खतरा होता है। वहीं, डिलीवरी के दौरान बच्चे के पानी में जाने का भी खतरा होता है, जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है।
वाटर बर्थ कराने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
1) सबसे पहली बात प्रेग्नेंसी कम जोखिम वाला होना चाहिए
2) इंफेक्शन न हो
3) हाई ब्लड प्रेशर की हिस्ट्री नहीं होनी चाहिए
4) ब्लीडिंग डिसॉर्डर नहीं होना चाहिए।
5) प्रेग्नेंसी के दौरान कोई समस्या न हो।
6) प्रेग्नेंसी से पहले BMI मानदंडों को पूरा करना चाहिए।
यह तय करने के लिए क्या वाटर बर्थ आपके लिए सही विकल्प है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
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