Himanchal News: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने रविवार को कहा कि सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियमों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने की जरूरत है। यहां ‘उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला’ को संबोधित करते हुए शुक्ला ने पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षित और संतुलित विकास की जरूरत पर जोर दिया।
रसायन मुक्त कृषि
उन्होंने कहा कि भारत आज पश्चिमी देशों की तुलना में कार्बन का कम उत्सर्जन करता है। एक बयान में शुक्ला के हवाले से कहा गया है, “आज पश्चिमी देशों में पर्यावरण असंतुलित है और इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ रहा है। हमें अपने हरित क्षेत्र को संरक्षित करने और मोटे अनाज की ओर वापस जाते हुए रसायन मुक्त कृषि को अपनाने की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्र में तेजी से होते शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है और जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय बनकर उभरा है जो सभी को प्रभावित करता है।
जागरूकता अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए जरुरी
राज्यपाल ने कहा कि वायु प्रदूषण और पानी की कमी कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण, ज्यादा इस्तेमाल और अतिक्रमण के कारण उत्तरी क्षेत्र की प्रमुख नदियों के जल स्रोत खतरे में हैं। शुक्ला के मुताबिक, वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट जल शोधन और सामुदायिक जागरूकता अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में अहम हो सकते हैं।
पर्यावरण का बहुत महत्व
उन्होंने उत्तरी क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता की सुरक्षा के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि वन्यजीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के निवास स्थानों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और वनों की कटाई, वन्यजीवों का अवैध व्यापार जैसी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश पंडित ने कहा कि सभी के जीवन में पर्यावरण का बहुत महत्व है।
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