भोपाल। मध्यप्रदेश चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जा रही है। चार दिवारी की बैठकों से लेकर मैदानी जमावट तक हर पैंतरा आजमाया जा रहा है, तो वार-पलटवार का दौर भी तेज है। कहीं इसके पीछे की वजह 2018 के नतीजे तो नहीं। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे…
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का पारा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। बीजेपी हो या कांग्रेस, चुनाव को लेकर अब बैठकों के दौर के साथ मैदानी जमावट में भी पार्टियां जुटी हैं। लगातार अलग-अलग इलाकों के दौरे, वार-पलटवार और दबाव की राजनीति से सियासी बिसात बिछाई जा रही है।
पार्टी की पकड़ को मजबूत कर रहे हैं
लाडली बहना सम्मेलन हो या फिर गौरव दिवस कार्यक्रम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद जनता के बीच पहुंचकर पार्टी की पकड़ को मजबूत कर रहे हैं, तो केंद्रीय मंत्री भी अपने-अपने मोर्चों पर जुटे हैं। इधर, शुक्रवार को भी एक अलग ही तस्वीर सामने आई जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे विकास की इबारत दिखाने खुद लोगों को लेकर रानी कमलापति स्टेशन पहुंचे।
सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस की भी तैयारी अलग लेवल पर चल रही है। पूर्व सीएम कमलनाथ युद्धनीति तैयार करने के साथ ट्विटर के जरिए सरकार पर हमलावर हैं, तो पूर्व सीएम दिग्विजय और अरुण यादव जैसे महारथी, अलग-अलग इलाकों में पहुंचकर, पार्टी के लिए मैदान तैयार कर रहे हैं।
फिर मैदानी जमावट में जुटी कांग्रेस
चुनावी मशीन कहे जाने वाली बीजेपी हो या फिर मैदानी जमावट में जुटी कांग्रेस। दोनों के ही सामने हर वर्ग को साधने की चुनौती है। क्योंकि, दोनों ही दल नहीं चाहते कि 2018 चुनाव की स्थिति दोबारा बने। जहां जनता ने किसी को भी सत्ता की चाबी नहीं सौंपी थी।
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