भोपाल। नरेंद्र मोदी की गिनती आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली शख्सियतों में की जाती है और ये शख्सियत ऐसे ही नहीं बनी है। इसके पीछे हैं उनकी अथक मेहनत और वो आत्मविश्वास, जिसने उन्हें नरेंद्र से नमो बना दिया। आइए एक नजर डालते हैं उनकी इसी खास शख्सियत पर…
कहते हैं किसी शख्सियत के किरदार को समझना हो तो वहां जरूर जाना चाहिए, जहां से उस शख्सियत ने अपना सफर शुरु किया था। उस परिवेश को जरूर महसूस करना चाहिए, जिसने उस शख्सियत को गढ़ा है।
नरेद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के 9 साल पूरे हो रहे हैं। यूं तो दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक नरेंद्र मोदी की शख्सियत के बारे खूब बातें होती हैं, लेकिन इस मौके पर हम एक अलग नजरिए से उनकी शख्सियत को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
सबसे पहले बात करते हैं मोदी के उस किरदार की, जिसने न केवल देश बल्कि दुनिया को भी कई मायनों में अंचभित किया है। मोदी अपने किरदार से सबको चौकाते हैं। फिर गुजरात मुख्यमंत्री के तौर पर उनका 13 साल का कार्यकाल हो या फिर प्रधानमंत्री के तौर पर उनके नौ साल। मोदी हमेशा कुछ नया करते रहे और तय मानदंडों को तोड़कर उन्होंने देश के लिए संभावनाओं को नए द्वार खोले और देखते ही देखते देश उनके पीछे चल पड़ा।
लोकप्रियता की बात की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम सियासी शख्सियतों को पीछे छोड़ते नजर आते हैं। सवाल यही है, आखिर मोदी इतने विशिष्ट कैसे हो जाते हैं। दरअसल, मोदी जिस समय एक राजनेता के तौर पर तैयार हो रहे थे वो दौर भारत की सियासत में उथल पुथल का दौर था। देश की सियासत करवट ले रही थी। रीजनल पार्टियों उभर रही थीं और गठजोड़ का दौर चल पड़ा था। और सियासत की इस संस्कृति ने कहीं न कहीं देश के संघीय ढांचे को भी प्रभावित किया। नरेंद्र मोदी ने ये सब बहुत करीब से देखा। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने न केवल देश के संघीय ढांचे को मजबूत किया, बल्कि राष्ट्रभक्ति की एक नई लहर भी पैदा की इसलिए वो इतने विशिष्ट हो जाते हैं।
नरेंद्र मोदी को यदि किसी ने बनाया है तो वो उनके बड़े फैसलों ने बनाया है। नोटबंदी हो सर्जिकल स्ट्राइक हो, आर्टिकल 370 समाप्त करना हो या फिर तीन तलाक का मसला। नरेंद्र मोदी ने हर वो बड़ा फैसला लिया जो देश के लिए जरूरी था। इन फैसलों की वजह से ही देश का आत्मविश्वास लौटा और आज वो विश्वशक्ति होने की दिशा में बढ़ चला है।
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