Aaj Ka Mudda: छत्तीसगढ़ में झीरम की घटना को भला कौन भुला सकता है। झीरम नरसंहार को 10 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन झीरम के पीड़ितों के जख्म अब तक नहीं भरे। इसे लेकर सियासत भी कभी नहीं थमी। बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के बेटे छबींद्र कर्मा ने मंत्री कवासी लखमा के नार्को टेस्ट की मांग कर दी वहीं बीजेपी इस पर राजनीति के आरोप लगा रही है।
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झीरम नरसंहार को याद कर कांप जाती है रूह
झीरम नरसंहार को याद कर आज भी रूह कांप जाती है। घाटी पर धमाकों की गूंज आज भी सुनी जा सकती है। झीरम के जख्म 10 साल बाद भी नहीं भरे हैं। हर बीतते साल के साथ झीरम के सवाल और गहरे होते जाते हैं। पीड़ितों परिवारों को अब भी न्याय का इंतजार है। जिनमें एक नाम बस्तर टाइगर, महेंद्र कर्मा के बेटे का भी है।
हमले का पर्दाफाश आज तक नहीं हो सका
छबींद्र कर्मा ने अपनी ही पार्टी के नेता पर सवाल दागा है और कवासी लखमा के नार्को टेस्ट की जरूरत बताई है। सवाल तो ये भी है कि इस घटना के वक्त छत्तीसगढ़ में रमन सरकार थी। आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है लेकिन कांग्रेस नेताओं पर हुए सबसे बड़े हमले का पर्दाफाश आज तक नहीं हो सका। इसे लेकर झीरम के पीड़ित भी मायूस नजर आते हैं तो सिसासत की भी अपनी चाल है। सीएम भूपेश बघेल, रमन सिंह और मुकेश गुप्ता के नार्को टेस्ट की बात कह रहे हैं। तो रमन सिंह कांग्रेस पर राजनीति करने के आरोप लगा रहे हैं।
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झीरम की घटना ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर को झकझोर कर रख दिया था। ऐसे में 10 साल बाद भी षड्यंत्र का खुलासा नहीं होना कई सवालों को जन्म देता है। 10 साल बाद भी क्यों नहीं हुआ खुलासा ? कब मिलेगा झीरम के पीड़ितों को न्याय ? आज भी फाइलों में क्यों उलझा है नरसंहार ? सरकारें बदली, फिर भी क्यों सियासत बरकरार ? ये वो सवाल हैं जो छत्तीसगढ़ की जनता और उन शहीदों के परिवार.. बार-बार पूछ रहे हैं लेकिन सियासत है कि मानती नहीं।