New Parliament Building: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि संसद की नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा या नहीं।
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विपक्षी दलों ने किया विरोध
कांग्रेस समेत 20 विपक्षी दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद की नई इमारत का उद्घाटन किए जाने का विरोध किया है और मांग की है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसका उद्घाटन कराया जाए।
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याचिककर्ता का यह है तर्क
संविधान के आर्टिकल 79 का जिक्र करते हुए याचिकर्ता का कहना है कि संसद का अर्थ दोनों सदनों का प्रमुख राष्ट्रपति होता है। तीनों को मिलाकर ही संसद बनती है। देश का राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं और उसके कस्टोडियन हैं। याची ने कहा कि राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है, जो संसद के सत्र का शुभारंभ करते हैं। महामहिम ही प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को शपथ दिलाते हैं। यही नहीं कोई भी विधेयक मंजूर होता है तो वह राष्ट्रपति के नाम पर ही होता है। ऐसे में राष्ट्रपति को आमंत्रित न करना न केवल उनका अपमान है बल्कि संविधान का भी उल्लंघन है।
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