शाजापुर से आदित्य शर्मा की रिपोर्ट। MP Shajapur Katha जिले के सुपेला ग्राम में चल रही श्रीमदभागवत कथा का सोमवार को सुदामा वर्णन के साथ विश्राम हो गया। श्रीमद् भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा। प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार 108 विवाह के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग की कथा सुनाई।
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कथा सुनकर सभी भक्त भाव-विभोर हो गए। उन्होंने आगे कहा कि सच्चा वैष्णव दुख हो या सुख दोनों परिस्थिति में समान रहता है। MP Shajapur Katha सुख में ना वो फूलता है और दुख में वो ना डूबता है। सुख में मनुष्य सरकती रेती जैसा बन जाता है, समय कब बीत गया पता ही न चला और दुख में मनुष्य के हृदय में कांटा जैसा चुभता है, लेकिन दोनों ही स्थिति में वैष्णव को स्थिर रहना चाहिए।
विश्वास रखना चाहिए
उन्होंने कहा कि जीवन में कई बार बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो हमे अच्छी नहीं लगती हैं लेकिन तब भी ये विश्वास रखना चाहिए कि भगवान जो करे सो भली करे। जिस प्रकार मां-बाप अपने सन्तान की रक्षा करते हैं उसी प्रकार अपने भक्तों की रक्षा भी भगवान करते हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि भौमासुर नामक दैत्य ने एक लाख कन्याओं के साथ विवाह करने के उद्देश्य से उन्हें बंदी बना कर रख रहा था। तब उन कन्याओं के जीवन की रक्षा के लिए भगवान् ने उस दैत्य का संहार किया और उन कन्याओं को कैद से बचाया मगर जब कन्याओं ने कहा कि इतने वक़्त परिवार से दूर रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा। MP Shajapur Katha तो उन्हें इस लांछन से बचाने के लिए भगवान् ने उन 16 हजार 101 कन्याओं से विवाह किया।
श्री सुदामा महाराज की कथा
देवी चित्रलेखा ने कथा लीला पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीपरीक्षितजी ने श्री सुखदेवजी से भगवान् के भक्त और परम मित्र की कथा सुनाने का आग्रह किया और सुखदेव जी ने उन्हें श्री सुदामा जी महाराज की कथा सुनाई बताया कि सुदामा नाम के एक गरीब ब्राह्मण जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भगवान् कृष्ण के साथ एक गुरुकुल में हुई थी।
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सुदामा जी एक विरक्त ब्राह्मण थे। MP Shajapur Katha अपनी हर स्थिति परिस्थिति के लिए भगवान् को ख़ुशी-ख़ुशी धन्यवाद देने वाले। आज अपनी परिस्थितियों में अपनी पत्नी के कहने पर भगवान् से मिलने गए । और जब घर वापस आये तो भगवान् ने कृपा कर के उनकी झोपड़ी की जगह आलिशान महल बना दिया पर वो आदर्श सुदामा जी उस महल के त्यागकर उसके नजदीक एक कुटिया बना कर रहे और जीवन यापन किया।
भागवत को अपने जीवन में उतारें
इसके पश्चात कथा के मुख्य प्रसंगों को श्रवण करा के कथा सार सुनाया और फिर शाप की अवधि के अनुसार सुखदेव जी ने वहां से प्रस्थान किया परीक्षित जी ने खुद को भगवान् में लीन कर लिया और तक्षक नाग ने उन्हें डंसा। कथा समापन के दौरान कथा व्यास ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो।
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कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने मित्रता की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।
कथा के दौरान यह रहे मौजूद
कथा के दौरान पूर्व मंत्री व विधायक कमलेश्वर पटेल,MP Shajapur Katha परमहंस आश्रम के तुलसीदास महाराज, पूर्व विधायक शीला त्यागी, अध्यक्ष,जनपद पंचायत मझौली सुनयना सिंह,संचालक, स्टार ग्रुप रमेश सिंह जी, मिर्जापुर उत्तर प्रदेश से विक्रम जैन, अनुराग त्रिपाठी, कांग्रेस नेता विनीत वाजपेयी, दिनेश नायक, विजय शर्मा, पत्रकार बंधु, सामाजिक कार्यकर्ता जनप्रतिनिधि गण एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु महानुभावों ने भाग लिया। वहीं महाआरती के साथ कथा का विश्राम हुआ। इस दौरान कथा के समापन का भंडारा भी आयोजित किया गया।
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