भोपाल। MP Omkareshwar Ekatm Dham मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में अद्भुत और अलौकिक ‘एकात्म धाम’ का निर्माण किया जा रहा है। यहां 108 फीट ऊंची एकात्मता की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। प्रोजेक्ट पर पहली बार अधिकृत तौर पर एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी है।
ओंकारेश्वर में अद्भुत और अलौकिक ‘एकात्म धाम’
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फीट ऊंची एकात्मता की प्रतिमा हो रही स्थापित @CMMadhyaPradesh #StatueOfOneNess #JansamparkMP pic.twitter.com/7SDCqLFNti— Jansampark MP (@JansamparkMP) May 7, 2023
सीएम ने बताया कि यह मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक के साथ ही अब खंडवा के ओंकारेश्वर ओंकार पर्वत पर अध्यात्म लोक MP Omkareshwar Ekatm Dham का निर्माण किया जा रहा है। इसे ‘एकात्म धाम’ के नाम से जाना जाएगा। ओंकार पर्वत पर 28 एकड़ जमीन पर इस धाम की स्थापना की जा रही है।
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मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में जाने जा रहे इस ‘एकात्म धाम’ MP Omkareshwar Ekatm Dham में 108 फीट ऊंची आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सितंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचेंगे।
एकात्म धाम के बारे में
-ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के समीप नर्मदा नदी के तट पर निर्माण
-शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा
-2000 करोड़ का खर्च
-एमपी में खंडवा के ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर निर्माण
-28 एकड़ जमीन पर स्थापना
-आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा MP Omkareshwar Ekatm Dham
-प्रदेश की सबसे ऊंची प्रतिमा
-प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ वननेस नाम दिया
-वन विहार का निर्माण
-संग्रहालय परिसर
-सनातन शोध केंद्र MP Omkareshwar Ekatm Dham
-श्री यंत्रम
-गुरुकुल
-प्रशिक्षण व सूचना केंद्र
-अभय घाट
-संन्यास व गुफा मंदिर
-35 हजार पेड़ों का वन विहार
-मां अन्नपूर्णा मंदिर
-पंचायतन मंदिर
-ओम स्तंभ
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आदि गुरु शंकराचार्य के बारे में
आदि गुरु शंकराचार्य के लिए भगवान शिव का अवतार और आदि शंकर माना जाता है। ये भारत के एक महान दार्शनिक व धर्मप्रवर्तक थे। उन्होंने अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया। उनका जन्म 509 ईसा-पूर्व केरल में माना जाता है। परिव्राजक बनकर वे तब ओंकारेश्वर MP Omkareshwar Ekatm Dham पहुंचे और तपस्या की। भगवद् गीता, उपनिषदों व वेदांत के सूत्रों पर टीका व मीमांसाएं लिखीं। चार पीठ ज्योतिष पीठ, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका-शारदा पीठ, पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की।
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