भोपाल। आज का मुद्दा : द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर हुआ विवाद तो आपको याद ही होगा। अब एक और फिल्म द केरल स्टोरी पर भी सियासी बयानबाजी जमकर हो रही है। मध्यप्रदेश में नेता एक दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, रियल पॉलिटिक्स में रील वाले मुद्दे भी हावी होने लगे हैं। इसका नतीजा ये है कि स्थानीय मुद्दे पर चर्चा कम हो गई है।
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द कश्मीर फाइल्स की तरह द केरल स्टोरी भी एमपी की सियासत के केंद्र में आई है। देशभर के साथ मध्यप्रदेश में भी इस फिल्म को लेकर खूब हो-हल्ला हुआ। बैन की मांग भी हुई। फिल्म को एक प्रोपोगेंडा भी बताया गया, लेकिन फिल्म पर शुरु हुई ये सियासत अब सवालों के घेरे में है। जानकार तो इसे विचारों और प्रतिकों के बीच की लड़ाई से भी जोड़ रहे हैं, हालांकि इस सियासी बहसबाजी के बीच मध्यप्रदेश में द केरल स्टोरी को टैक्स फ्री कर दिया गया है।
फिल्मों का चुनाव में मुद्दा बनना चौंकाने वाला
विचारों और प्रतिकों की इस लड़ाई का ही नतीजा है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच के टकराव में और इजाफा हो जाता है। अब इन फिल्मों का विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनना भी चौंकाने वाला है। खैर कांग्रेस का क्या रुख है द केरल स्टोरी को लेकर वो जान लीजिए…
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ये तो जगजाहिर है कि पहले धारा 370, कश्मिर पंडित और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर खुलकर बात नहीं हुआ करती थी। आरोप तो ये भी लगे कि इन मुद्दों पर चुप्पी के लिए संस्थानों का भी इस्तेमाल हुआ, लेकिन अब ना केवल खुले मंचों से बल्कि सियासत में भी इस मुद्दों पर बहस जमकर हो रही है। कहा तो ये भी जा रहा है कि फिल्मों के जरिए भी अपने विचारों को जनता तक पहुंचाने में राजनीतिक दल पीछे नहीं हट रहे। शायद यही वजह है कि विचारों और प्रतिकों की ये लड़ाई द कश्मीर फाइल्स के बाद द केरल स्टोरी के बहाने लड़ी जा रही है।
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