CBI Investigation: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू कश्मीर में कथित बीमा घोटाले की जांच के संबंध में शुक्रवार को पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह घोटाला मलिक के इस बयान के बाद सामने आया था कि उन्हें इससे संबंधित फाइल को मंजूरी देने के लिए रिश्वत की पेशकश की गयी थी। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई का एक दल मलिक के दावों पर उनसे सवाल-जवाब करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के आर के पुरम इलाके में उनके सोम विहार आवास पर सुबह करीब 11 बजकर 45 मिनट पर पहुंचा।
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अधिकारियों ने बताया कि करीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई। उन्होंने कहा कि इस दौरान पिछले साल सीबीआई (CBI Investigation)के पास दर्ज कराए गए मलिक के बयानों में किए गए दावों के बारे में उनसे कई सवाल किए गए। सात महीने में दूसरी बार मलिक से सीबीआई ने पूछताछ की। हालांकि अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रहे मलिक इस मामले में अभी तक आरोपी या संदिग्ध नहीं हैं। बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय में राज्यपाल संबंधी जिम्मेदारियां निभाने के बाद पिछले साल अक्टूबर में उनका बयान दर्ज किया गया था।
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मलिक ने दावा किया था कि जब वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, उस दौरान उन्हें दो फाइल को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। वह 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे। एजेंसी ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए चिकित्सा बीमा योजना से संबंधित अपनी प्राथमिकी में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है। कथित तौर पर योजना को 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में मलिक द्वारा मंजूरी दी गई थी।
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एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत से जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करके आपराधिक कदाचार किया। यह आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने ‘‘2017 से 2018 की अवधि के दौरान खुद को आर्थिक लाभ और राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह, जम्मू कश्मीर की सरकार को धोखा दिया।’’ कीरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित कार्य के ठेके देने में कथित गड़बड़ी के बारे में दूसरी प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया कि ई-निविदा से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
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