बिलासपुर। CG Sanju Tripathi murder case update : छत्तीसगढ़ में संजू त्रिपाठी हत्याकांड के मामले के एक आरोपी को जमानत दे दी गई है। दरअसल, आरोपी पर आरोप में साक्ष्यों के अभाव के चलते में कोर्ट ने चालान पेश किया गया था, जिसके आठ दिन बाद ही जमानत अर्जी कोर्ट ने मंजूर कर ली है। जमानत पर छूट चुके इस आरोपी पर संजू मर्डर केस के मुख्य आरोपी को भगाने में मदद किए जाने का आरोप लगा था। इस मामले में संजू त्रिपाठी के भाई के लिए मुख्य आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
कांग्रेस नेता की हत्या की थी
बता दें कि 14 दिसंबर के दिन कांग्रेस नेता संजू त्रिपाठी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। फिल्मी स्टाइल में उनकी कार रोककर उन्हें गोली मार दी गई थी। उनपर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिसमें उनकी मौत हो गई। फायरिंग से हुई मौत के बाद से इलाके में दहशत फैल गई थी। यह वारदात सकरी बायपास के पास हुई। दिनदहाड़े आरोपियों ने इस वारदात को अंजाम दिया और मौके से फरार हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 19 आरोपियों के लिए गिरफ्तार किया था।
परिवार वालों पर ही हत्या का आरोप
पुलिस जांच में सामने आया कि परिवार वालों का हाथ ही संजू की हत्या की वारदात में है। संपत्ति विवाद और उसके पिता की दत्तक पुत्री से दुष्कर्म की वारदात इस हत्या की वजह मानी गई। हत्या की वारदात की कुछ देर बाद ही संजू का छोटा भाई व अन्य सभी आरोपी भाग खड़े हुए थे, लेकिन नेपाल पहुंचने पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस के अनुसार इस मामले में संजू के पिता जयनारायण त्रिपाठी व छोटे भाई कपिल त्रिपाठी ने हत्या की साजिश रची थी। पूलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि शूटरों के लिए यही लोग संजू के पास तक ले गए थे और हत्या की वारदात के बाद शूटरों को कोटा की तरफ भगा दिया था।
छत्तीसगढ़ सहित 5 राज्यों में की थी खोज
हत्या के बाद से ही पुलिस छत्तीसगढ़ सहित आसपास के 5 राज्यों में आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी। साथ ही पुलिस की साइबर सेल लगातार आरोपियों के जुड़े हुए लोगों के मोबाइल नंबरों को ट्रेस कर रही थी। इसी बीच ल त्रिपाठी की एक गलती से वह पुलिस के शिकंजे में आ गया। बताया गया कि वह गोंदिया फिर इसके बाद किसी तरह मध्य प्रदेश के भोपाल पहुंच गया, किन यहां उसने जिस टैक्सी ड्राइवर से लिफ्ट ली उसके मोबाइल से अपने एक सहयोगी को फोन किया। जिसके बाद साइबर सेल को उसकी लोकेशन की जानकारी लग गई।