Rahul Gandhi Case : गांधी परिवार के युवराज और केरल की वायनाड़ से कांग्रेस सांसद राहुल आंधी अब सांसद नहीं रहे है। 24 मार्च 2023 को लोकसभा सचिवालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर उनकी संसद सदस्यता को रद्द कर दिया है। राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने मानहानि मामले में दोषी करार दिया था। अदालत ने राहुल को दो साल की सजा का सुनाई थी। हालांकि राहुल को कोर्ट ने जमानत दे दी थी। कोर्ट ने राहुल के खिलाफ मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने के आरोप में दो साल की सजा सुनाई है।
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद देश की राजनीति में बस एक ही चर्चा है कि अब राहुल गांधी क्या करेंगे? क्या राहुल गांधी को जेल जाना पड़ेगा? लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद से राहुल गांधी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे है। राजनैतिक जानकारों की माने तो राहुल गांधी के पास अभी कुछ विकल्प बाकी है। राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने वाले लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम में अपील कर सकते है। क्योंकि अगर भारत का संविधान कहता है कि अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो इसके लिए न्याय पालिका है। यानि राहुल गांधी अब हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटा सकते है।
दरअसल, यूपी के रामपुर सीट से दंबग सपा नेता आजम खान की साल 2022 में एक हेट स्पीच के चलते उनको तीन साल की सजा सुनाई गई थी। आजम को सजा मिलने के ठीक अगले दिन उत्तरप्रदेश विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने उपचुनाव की भी घोषणा कर दी थी। वही आजम खान इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट में आजम खान ने दलील दी थी की आखिर अयोग्य करार देने और उपचुनाव की घोषणा करने में इतनी जल्दबाजी क्यों, यह उचित नहीं है। क्योंकि कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील पर सुनवाई होना अभी बाकि है। वही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग से मामले में तेजी दिखाने को लेकर जबाव मांगा। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने तक उपचुनाव पर रोक लगा दी। हालांकि कोर्ट ने आजम खान को राहत नहीं दी थी। कुल मिलाकर आजम खान की तरह राहुल गांधी के पास लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है।
क्या राहुल की सदस्यता रहेगी बरकरार?
राहुल गांधी को मानहानि मामले में दो साल की सजा हुई है। अगर राहुल गांधी इसके खिलाफ हायर कोर्ट में अपील करते है और कोर्ट राहुल के कन्विक्शन पर रोक लगाता है तो राहुल की संसदी बरकरार रहेगी। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है। वही कानूनी जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर सकता है। या राहुल की सजा को कम कर सकती है। ऐसे में राहुल की सदस्यता बरकरार रहेगी। लेकिन इसके लिए राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की शरण लेनी होगी। एक बात यह भी है कि अगर कोर्ट से फैसला आने से पहले अगर वायनाड में उपचुनाव हो गए तो राहुल की सदस्यता बहाल नहीं हो सकेगी। क्योंकि साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होने है, ऐसे में चुनाव आयोग उपचुनाव की घोषणा जल्द कर सकती है। क्योंकि संविधान के अनुसार आम चुनाव होने से पहले अगर 6 महीने का वक्त है तो उपचुनाव कराया जा सकता है। और साल 2024 के लोकसभा चुनाव होने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त है। लेकिन कानूनी जानकारों की माने तो राहुल गांधी के पास वक्त कम है, क्योंकि उपचुनाव से पहले राहुल के मामले में फैसला आना जरूरी है नहीं तो राहत मिलने से पहले उपचुनाव हो सकते है, और ऐसे में राहुल उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
क्या राहुल जाएंगे जेल?
मानहानि मामले में अगर कन्विक्शन को रद्द नहीं किया गया या उस पर रोक नहीं लगी तो राहुल गांधी को एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी, यानि राहुल गांधी को जेल जाना होगा। इसके अलावा वह अगले 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
देश में इन नेताओं की जा चुकी है सदस्यता
देश में राहुल गांधी ऐसे पहले नेता नहीं हैं, जिनकी सदस्यता रद्द हुई है। इससे पहले भी ऐसे कई नेता रहे है जिनकी सदस्यता रद्द हो चुकी है। लालू यादव को चारा घोटाले में 5 साल की सजा का ऐलान हुआ था। जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। इससे पहले कांग्रेस नेता रशीद मसूद को एमबीबीएस सीट घोटाले में 4 साल की सजा हुई थी जिसके बाद उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। रशीद मसूद यूपी से राज्य सभा सांसद थे। बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल को एक हत्या के मामले में सजा सुनाई थी उनकी भी विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। वही यूपी के उन्नाव रेप कांड में भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा हुई थी, उनकी भी विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था।
इंदिरा गांधी की भी हुई थी सदस्यता रद्द
आपको बता दें कि एक बार इंदिरा गांधी की सदस्यता को भी रद्द किया गया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने जो दम भरी थी की देश में पूर्व बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। दरअसल, इमरजेंसी खत्म होने के बाद विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ एक मोर्चा खड़ा किया था, और मोर्चे का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण कर रहे थे। साल 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी समेत कांग्रेस को बुरी हार का समाना करना पड़ा था। साल 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें इंदिरा गांधी ने समाजवादी नेता वीरेंद्र पाटिल को 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया, लेकिन कुछ ही महीनों बाद इंदिरा गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया गया।
संसद से सदस्यता रद्द होने के बाद इंदिरा गांधी ने फिर से दम भरना शुरू कर दिया। इंदिरा ने बिहार से लेकर दक्षिण तक कांग्रेस में जान फूंक दी। जिसका नतीजा यह हुआ की साल 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई। इसके बाद आम चुनाव की घोषणा हुई, जिसमें इंदिरा की राजनीतिक लड़ाई ने कांग्रेस की वापसी करा दी। कांग्रेस ने देश की 529 लोकसभा सीटों में से 363 सीटों पर जीत दर्ज की।
क्या राहुल की रद्द सदस्यता बदलेगी पार्टी का रूख?
अब राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हो गई है। वही अगले साल लोकसभा के चुनाव होने है। क्या ऐसे में कांग्रेस भारतीय राजनीति में बदलाव ला पाएगी? क्या इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद देश में सरकार बनी थी। तो क्या अब राहुल की सदस्यता खत्म होने के बाद देश में कांग्रेस अपनी सरकार बना पाएगी? क्या राहुल गांधी वापस ला पाएंगे 1980 का दौर? यह देखना दिलचस्प होगा।