नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam 22 अप्रैल से गुड़ी पड़वा के साथ Hindu Navvarsha 2023 Gudi Padwa हिन्दू नववर्ष hindu navvarsh की शुरुआत हो रही है। इसी के साथ शुरू हो जाएगा नया संवत्सर। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में कलश स्थापना kalash sthapna क्यों की जाती है। आइए जानते हैं पंडित रामगोविंद शास्त्री के Kalash Sthapna Mahatva (Chaitra Navratri 2023) अनुसार इसकी स्थापना कैसे, कब की जानी चाहिए। साथ ही इसकी स्थापना के पीछे कारण क्या है।
इसलिए होती है कलश स्थापना Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार कलश में भगवान का वास होता है। विशेष रूप से इसमें गणेश जी का वास माना जाता है। गणेशजी का प्रथम पूज्य मानते हैं। अत: कलश के बिना सभी प्रकार पूजन अधूरे माने जाते हैं। इनकी स्थापना से घर में खुशियां आती हैं। साथ ही नकारात्मकता भी दूर होती है।
ऐसे करें कलश की स्थापना Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam
स्थापना के लिए सबसे पहले सही दिशा का चयन करें। इसके बाद आटे का चौक बनाकर उस पर लकड़ी की चौकी रखें। इस पर लाल कपड़ा रखकर मां का चित्र रखें। इसके बाद सामने भगवान के दाई ओर एक तांबे के लोटे में जलकर भरकर उसमें चावल और एक रुपए का सिक्का डालेें। लोटे के नीचे भी चावल का ढेर बनाएं। इसके बाद नारियल सुपाड़ी, पान आदि रखकर स्थापना करें। हल्दी, चंदन, रोली आदि से मां की विधिवत पूजन कर आशीर्वाद करें।
कलश स्थापना के नियम — Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam
घर की पूर्व दिशा में आटे से चौक पूर कर उस पर पाटा रखें। फिर इस पर लाल कपड़रा बिछाकर मां की फोटो रखें। कलश स्थापना चौकी के ठीक सामनें करें। जिसके लिए एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, सिक्का और चावल जरूर डालें। इस पर पांच पत्ते आम के डालकर उस पर नारियल रखें।
किस दिशा में रखें दीपक — Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam
कलश स्थापना के बाद देवी जी के बायीं ओर शक्ति यानि तेल का और दाईं ओर शिव यानि घी का दीपक जलाना चाहिए। पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार देवी जी की शक्ति वामांग होती हैं। इसलिए इस दिशा में तेल का दीपक जलाना चाहिए।
भूलकर भी न करें ये काम — Chaitra Navratri 2023 kalash Sthapna Niyam
पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार किसी भी पूजन में शुभ काम के लिए एक बाती के उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। फूल बाती के लिए ये नियम चल सकता है। लेकिन जब लंबी वाली बाती का उपयोग पूजन में करते हैं तो भूलकर भी एक बाती का उपयोग नहीं करना चाहिए। एक बाती का उपयोग अशुभ कार्यों में होता है। शुभ कार्य हमेशा दो बाती वाले दीपक के साथ करना चाहिए।