शाजापुर/आदित्य शर्मा : जिला न्यायालय की विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने आमजनता से करोडो रूपये की ठगी करने के मामले में अपना महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। एजीपी निर्मलसिंह चौहान (गुर्जर) ने बताया कि BNP इंडिया कम्पनी के संचालको द्वारा करोडो रूपये की राशि अवैध तरीके से पालिसी के नाम पर जमा करावाकर हडपने व वापस न करने के मामले में पाँच पाँच वर्ष का कारावास व पचास पचास हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
उन्हाैने बताया कि 30 जनवरी 2012 से 19 फरवरी 2016 की अवधी के दौरान आवेदकगण से संबंध में पालिसी धारक/ आवेदकगण ने अभियुक्त राघवेंद्र नरवरिया, दयानंद नरवरिया, केदार नागर, रामदयाल सेन, तथा गेंदीबाई व राजेन्द्र राय के विरुद्ध थाना सुनेरा में 19 फरवरी 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। फरियादीगण संदीप पाटीदार, करूणा शर्मा आदि व अन्य लोगो के द्वारा घटना के संबंध में थाना सुनेरा में रिपोर्ट लेख कराई थी कि आरोपिगण द्वारा बी०एन०पी० इंडिया कम्पनी में आवेदकगणो से व अन्य लोगो से सौ करोड से अधिक की राशि जमा कराई तथा उन्हे एफ०डी० के रूप में परिपक्ता अवधी के पश्चात् दुगनी राशि वापस करने का लालच दिया परन्तु अवधी पूर्ण होने के पश्चात् आरोपीगण द्वारा कम्पनी बंद कर लोगो द्वारा जमा की गई करोडो रूपये की राशि वापस नही लोटाई गई तथा अभियुक्तगणो द्वारा कम्पनी को बंद कर लोगो की करोडो रूपये की राशि हड़प कर ली गई। जिस पर से शिकायत प्राप्त होने पर आरोपिगण के विरुद्ध 19 फरवरी 2016 को पुलिस थाना सुनेरा में आपराध कमांक 16/2016 धारा 420, 120 बी, 409, भादवि तथा 3/6 मध्यप्रदेश निक्षेपको का संरक्षण अधिनियम के तहत् अपराध पंजीबद्ध किया गया तथा अनुसंधान पूर्ण होने के बाद आरोपी गेंदीबाई व राजेन्द्र राय को फरार घोषित कर शेष आरोपी गण के विरुद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय में अभियोजन की और से प्रस्तुत साक्ष्य एवं दस्तावेजों के आधार पर विचारण पूर्ण करने के पश्चात अभियुक्त राघवेंद्र नरवरिया, दयानंद नरवरिया, केदार नागर, रामदयाल सेन, को न्यायालय द्वारा प्रकरण में निर्मलसिह चौहान (गुर्जर) अतिरिक्त लोक अभियोजक के तर्कों से सहमत होते हुये आरोपीगण को दोषी पाते हुये धारा 420, भादवि में पाँच- पाँच वर्ष का कठोर कारावास व दो-दो हजार रूपये का अर्थदण्ड तथा धारा 6 (1) मध्यप्रदेश निक्षेपको का संरक्षण अधिनियम 2000 में पाँच-पाँच वर्ष का करावास तथा पचास पचास हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया।