बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 100 फीसदी महिला आरक्षण पर गुरुवार को हाई कोर्ट का फैसला आया है। दरअसल, साल 2021 में छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग ने द्वारा सहायक प्राध्यापक नर्सिंग और डेमोस्ट्रेटर नर्सिंग के 91 पदों को भरने के लिए जारी किए एक विज्ञापन में सिर्फ महिलाओं के लिए ही पात्र माना गया था। इन पदों पर महिलाओं को पात्र मानने के पीछे राजपत्र में जून 2013 में चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम का हवाला दिया गया था। इस मामले में छत्तीसगढ़ के कोरिया के ऐल्युस खलखो, आदित्य सिंह द्वारा अधिवक्ता घनश्याम कश्यप व नेल्शन पन्ना के जरिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई था।
भर्ती पर रोक
अब गुरुवार के दिन याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट द्वारा इस भर्ती पर रोक लगा दी। इस मामले में हाई कोर्ट का कहना है कि शिक्षण पदों के लिए 100% महिला आरक्षण दिया जाना असंवैधानिक है। बता दें कि यह मामला शासकीय नर्सिंग कॉलेज में डेमोंस्ट्रेटर, प्रोफेसर के पदों में नियुक्ति का है। मामले में याचिका दायर करते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरक्षण के इस नियम को गलत बताया था। इसके पीछे याचिकाकर्ताओं ने दलील थी कि इन पदों के लिए सिर्फ महिला उम्मीवारों को पात्र माना जाना गलत है। क्योंकि इस पोस्ट के लिए जिस पढ़ाई की डिग्री मांगी जा रही है, उसका कोर्स पुरुष भी करते हैं।
नया रोस्टर बनाया जाएगा
वहीं कोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने पर राज्य शासन और पीएससी द्वार कहा गया है कि जिन नर्सिंग कॉलेजों के लिए भर्ती की जनी है, वहीं सिर्फ महिला वर्ग के लिए दाखिला दिया जा सकता है। क्योंकि यहां महिला वर्ग की पढ़ाई के लिए ही व्यस्थाएं की जानी हैं। कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। अब कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद आरक्षण का नया रोस्टर बनाया जाएगा और पुरुष वर्ग के लिए भी आवेदन किए जाने का मौका दिया जाएगा।