Sohan Potai
सोहन पोटाई, आदिवासी समाज के बीच अपनी एक अलग ही पहचान बनाने वाला एक ऐसा चेहरा, जिसके खो जाने से समाज को आज बड़ा झटका लगा। सरकारी नौकरी छोड़कर आदिवासी समाज के उत्थान के लिए राजनीति में कदम रखने के बाद कभी चुनाव न हारने वाले सोहन पोटाई के जीवन काल में कुछ ऐसा समय भी आया जब उनपर कई तरह के आरोप भी लगे, लेकिन अपने कर्तव्य और आत्मसम्मान के लिए वे हमेशा लड़ते रहे। गुरुवार की सुबह माहुरबंधपारा में पैतृक निवास पर उन्होंने अतिम सांस ली। आइए जानते हैं सोहन पोटाई और उनके जीवन की खुछ खास बतें।
Who is Sohan Potai
आदिवासियों के लिए हमेशा से लड़ते रहने वाले सोहन पोटाई का जन्म अप्रैल 1958 में हुआ था। वह तब सुर्खियों में आए जब साल 1998 में पोस्ट मास्टर की सरकारी नौकरी छोड़कर बीजेपी का दाम थामते हुए उन्होंने कांकेर सीट से राजनीति में कदम रखा। इस पहले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर कहे जाने वाले नेता महेंद्र कर्मा को शिकस्त दी। इसके बाद चुनावी लड़ाई वे कभी नहीं हारे। 1999, 2004 और 2009 में भी उन्होंने बीजेपी के साथ रहते हुए कभी हार का सामना नहीं किया। लेकिन, एक समय ऐसा भी आया जब संघ के भी काफी करीबी माने जाने वाले सोहन पोटाई ने बीजेपी से भी इस्तीफा दे दिया।
messiah of tribals
किन्हीं बातों के चलते 2014 में उन्हें बीजेपी से टिकट नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने बीजेपी के खिलाफ और कांग्रेस के समर्थन में जमकर प्रचार किया। आदिवासियों के हितों के लिए लड़ने वाले सोहन पोटई को आदिवासी नेता के नाम से जाना जाने लगा। सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उन्हें मिला। लेकिन, चुनावी दौर में कभी न हारने वाले सोहन पोटाई 64 साल की उम्र में कैंसर की लड़ाई से हार गए और 09 मार्च 2023 की सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट किया कि – 4 बार कांकेर से सांसद रहे भाजपा के कर्मठ नेता श्री सोहन पोटाई जी के निधन समाचार से मन व्यथित है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य और संबल प्रदान करें।