उज्जैन। Sandipani Ashram Holi Ujjain रंगों का पर्व होली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूरे देश में देश में मनाया जा रहा है। देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल है। जहां पर रंगों का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा वृंदावन ब्रज के साथ महाकाल की नगरी में भी रंगों का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज गुरु सांदीपनि आश्रम में नृत्य के माध्यम से कृष्ण राधा और गोपियों ने गुरु सांदीपनि के साथ रंग गुलाल के साथ फूलों से होली खेली, नटखट कान्हा ने खूब उड़ाया। रंग तो वही राधा व गोपियों ने नटखट कान्हा के साथ नृत्य करते फूलो व गुलाल से रंग दिया यही नही राधा ने तो ऐसा प्यार में रंग दिया Sandipani Ashram Holi Ujjain कि कान्हा को राधा ने गोदी में उठा कर रासलीला नृत्य कर प्रेंम का संदेश देते हुए रंगोत्सव में चार चांद लगा दिया। यहां देश विदेश से आए।
श्रद्धालु तालियां बजाकर स्वागत सत्कार कर, अपने मोबाइल में कैद कर इस अद्भुत रासलीला को देखकर कान्हा गोपियों और राधा को खूब रंग गुलाल उड़ा। गुरु सांदीपनि आश्रम के मुख्य पुजारी रूपम व्यास भी रंगो के पर्व पर गुरु सांदीपनि और बालसखा कृष्ण की अद्भुत कलाऊ विद्याओं को रंग के साथ रंग बिखेरते हुए कहा कि 64 कलाओं में से एक यह भी कला है जिसे कान्हा और राधा ने अपने गुरु के साथ रंग गुलाल उड़ा कर पुष्प वर्षा कर रंगों का पर्व बड़े ही प्यार उमंग से रंग से मनाया ओर सभी का मन मोह लिया।
क्या आपको पता है भगवान Sandipani Ashram Ujjain श्रीकृष्ण ने मात्र 11 वर्ष 7 दिन की उम्र में 64 विद्या और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था। मामा कंस का वध करने के बाद बाबा महाकालेश्वर की नगरी अवंतिका में आने के बाद वे 64 दिनों तक यहां रूके थे। इन 64 दिनों में ही उन्होंने यह शिक्षा प्राप्त की थी। आइए जानते आश्रम के बारे में वो सब कुछ जो आपको नहीं पता।
5266 वर्ष पुराना है आश्रम Sandipani Ashram Holi Ujjain
महर्षि सांदीपनि आश्रम के मुख्य पुजारी पंडित रूपम व्यास के अनुसार यह आश्रम 5 हजार 266 वर्ष प्राचीन है। पूर्व द्वार युग में इसकी शुरूआत हुई थी। आश्रम में गुरु सांदीपनि की प्रतिमा के समक्ष चरण पादुकाओं के दर्शन होते हैं। यहीं से भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी।
हाथों में है स्लेट, कलम Sandipani Ashram Holi Ujjain
अन्य मंदिरों की अपेक्षा आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण की बैठी हुई प्रतिमा विराजमान है। यहां भगवान कृष्ण बाल रूप में हैं। वह एक विद्यार्थी की मुद्रा में हाथों में स्लेट व कलम दिए हुए हैं।
मंत्र के साथ हुआ था विद्यारांभ Sandipani Ashram Holi Ujjain
महर्षि सांदीपनि वंशज के मुख्य पुजारी पंडित रूपम व्यास के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की स्लेट पर लिखे हुए तीन मंत्रों के साथ ही उनके विद्या संस्कार का आरंभ हुआ था।
हरि से हर का हुआ मिलन Sandipani Ashram Holi Ujjain
हरि यानि कृष्ण और हर यानी भोलेनाथ। भगवान श्रीकृष्ण जब सांदीपनि आश्रम में विद्या प्राप्त करने के लिए पधारे थे तब भगवान शिव से उनकी भेंट हुई थी। भगवान उनकी बाल लीलाओं के दर्शन करने इस आश्रम में आए थे। इसी दुर्लभ क्षण को हरिहर के मिलन के रूप जाना जाता है।
प्राचीन सर्वेश्वर महादेव Sandipani Ashram Holi Ujjain
गुरु सांदीपनि ने अपनी कठिन तपस्या से बिल्वपत्र के माध्यम से शिवलिंग प्रकट किया था। इन्हें ही सर्वेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं। गोमती कुंड के समीप ही इस मंदिर में भगवान शिव की दुर्लभ प्रतिमा है। यहां पढऩे वाले बच्चों का पढ़ाई में मन लगा रहे इसलिए उन्हें पाती लिखकर दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि बड़े होकर साक्षात्कार के लिए जाने पर यह पाती साथ में रखने से सफलता अवश्य मिलती है।
कुंडेश्वर महादेव में नंदी भी हैं खड़े रूप में Sandipani Ashram Holi Ujjain
इस आश्रम भगवान शिवजी का एक मंदिर भी है। जिसे कुंडेश्वर महादेव कहा जाता है। जब भगवान शिव प्रभु श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का दर्शन करने यहां पधारे थे। तो इन दोनों गुरु और गोविंद के सम्मान में नंदी महाराज खड़े हो गए। इसी कारण यहां भक्तों को नंदीजी की खड़ी प्रतिमा के दर्शन होते हैं।
इसलिए नाम पड़ा अंकपात Sandipani Ashram Holi Ujjain
स्लेट पर लिख हुए अंक को मिटाने के लिए भगवान कृष्ण जिस गोमती कुंड में जाते थे। वह कुंड आज भी यहां स्थापित है। अंकों को धोने के कारण है कि आश्रम के सामने वाले मार्ग को अंकपात के नाम से जाना जाता है।