JNU Rules: जहां एक दिन पहले ही देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नए नियम लागू होने की खबर सामने आई थी। 10 पन्नों के नियम के अनुसार, कहा गया था कि विश्वविद्यालय परिसर में धरना देने पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जबकि इस दौरान हिंसा करने पर उनका दाखिला भी रद्द किया जा सकता है या 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं अब जेएनयू के कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने इसे वापस लेने का फैसला लिया है।
कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने दावा किया कि उन्हें इस तरह का दस्तावेज तैयार होने और जारी किये जाने की जानकारी नहीं थी। चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने गुरूवार रात में अधिसूचना जारी कर कहा कि जेएनयू छात्रों के अनुशासन और नियम से संबंधित दस्तावेज को प्रशासनिक कारणों से वापस लिया जाता है।
सर्कुलर की जानकारी नहीं थी
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने कहा, ‘‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी। मैं किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं। मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली। मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है। मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला। इसलिए, मैंने इसे वापस ले लिया है।’’
बता दें कि 11 पन्नों के नियम में 17 “अपराधों” के लिए दंड तय किए गए थे जिनमें रुकावट, जुआ में लिप्त होना, छात्रावास के कमरों पर कब्जा करना, अपमानजनक भाषा का उपयोग और जालसाजी करना शामिल है। खास बात सजा के रूप में 5, 000 से लेकर 50,000 रूपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया था। वहीं दाखिला रद्द करने की बात कही गई थी।