First AC Train of India: अक्सर लंबे समय के सफर के लिए आप ट्रेनों के लुत्फ उठाना पसंद करते है अगर आपको एसी कोच मिल जाए तो, सफर आरामदायक हो जाता है। क्या आपको पता है आखिर पहली बार किस ट्रेन में एसी कोच लगाया गया था और क्या थी वो तारीख।
कौन सी है देश की पहली एसी ट्रेन
आपको बताते चलें कि, भारत की सबसे पहली एसी ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल (Frontier Mail) है जो ये अंग्रेजों के जमाने की ट्रेन है जो आज भी देश में चलती है जिसका नाम अब बदल गया है। जिसे गोल्डन टेंपल मेल (Golden Temple Mail) के नाम से जाना जाता है. इस ट्रेन की शुरुआत 1 सितंबर 1928 को हुई थी और तब इसका नाम पंजाब एक्सप्रेस रखा गया था। जहां पर मुंबई सेंट्रल से अमृतसर तक जाने वाली ये ट्रेन देश के बंटवारे से पहले तक पाकिस्तान के लाहौर और अफगानिस्तान से होते हुए मुंबई सेंट्रल तक आती-जाती थी। जानने के लिए आपको बताते चलें कि, उस जमाने की फ्रंटियर मेल ट्रेन सबसे लग्जरी ट्रेनों की श्रेणी में आती है।
ट्रेन कैसे बनती थी एसी
आपको बताते चलें कि, ट्रेन को एसी की शक्ल देने के लिए उस जमाने में कोच को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था. एसी कोच के नीचे बाॅक्स में बर्फ रखा जाता था और फिर पंखा लगा दिया जाता था. पंखे की मदद से कोच अच्छी तरह से ठंडा हो जाता था. बर्फ की सिल्लियां किस स्टेशन पर बदली जाएंगी ये पहले से निर्धारित था. फ्रंटियर मेल के प्रथम श्रेणी में सफर करने वाले अधिकतर लोग ब्रिटिश होते थे। इस ट्रेन की खासियत यह भी रही की इसे सबसे तेज और समय की पाबंद ट्रेन माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार ये ट्रेन 15 मिनट लेट हो गई थी, तो जांच के आदेश दे दिए गए थे. इसके अलावा ये ट्रेन उस समय देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन मानी जाती थी।
कई बड़े शख्सियत कर चुके है सफर
आपको बताते चलें कि, इस ट्रेन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक ने सफर किया है। मूलरूप से पाकिस्तान में जन्मे मशहूर एक्टर पृथ्वीराज कपूर समेत कई हस्तियों की ये पसंदीदा ट्रेन थी. फ्रंटियर मेल को भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी लंबी दूरी की ट्रेनों में से एक माना जाता था। उस जमाने में यह ट्रेन टेलीग्राम भेजने का काम भी करने लगे है।