Whistling Village: दुनिया जितनी बड़ी है उतनी ही विचित्र भी। यहां पर अनगिनत किस्से समाए रहते है ऐसी ही एक इंटरेस्टिंग खबर सामने आई है जहां पर मेघालय का एक ऐसा गांव जहां पर लोगों को नाम नहीं मिलता बल्कि यहां पर लोगों को धुन के आधार पर पुकारा जाता है। इसका नाम मेघालय का कोंगथोंग गांव।
जानिए गांव का रहस्य
आपको बताते चलें कि, यहां पर भारत के मेघालय में यह कोंगथोंग गांव आता है जिसमें कोंगथोंग पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है, जो मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 60 किमी दूर है। यहां पर गांव के लोग अपने गांव वालों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए सीटी बजाते हैं. कोंगथोंग के ग्रामीणों ने इस धुन को जिंगरवाई लवबी कहा जाता है, जिसका अर्थ ‘मां का प्रेम गीत’ है. यहां रहने वाले गांव वालों के दो नाम होते हैं, एक सामान्य नाम और दूसरा गाने का नाम. इसके अलावा गाने के नाम के दो वर्जन होते हैं, एक लंबा गाना और दूसरा छोटा गाना है।
#WATCH | Meghalaya: A unique village Kongthong, also known as the ‘Whistling Village’ is located in the East Khasi Hills district, about 60 km from Shillong where people use whistling as a method to convey their message to each other. (20.02) pic.twitter.com/UuXPiejAHs
— ANI (@ANI) February 21, 2023
700 लोगों की होती है 700 धुनें
आपको बताते चलें कि, यहां पर इस कोंगथोंग गांव में लोग इसके बारे में रहस्य खोलते है कि, किसी व्यक्ति को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ‘धुन’ बच्चे के जन्म के बाद माताओं से बनाई जाती है. इसके साथ ही कोई ग्रामीण मरता है तो उसके साथ-साथ उस व्यक्ति की धुन भी मर जाती है. उन्होंने बताया कि हमारे पास हमारी अपनी धुनें होती हैं और मां ने इन धुनों को बनाया है. हमने धुनों को दो तरह से इस्तेमाल किया है। बताया जाता है कि, इस गांव में लोगों की संख्या 700 के करीब है और इनकी धुन 700 की संख्या में है।
पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही प्रथा
आपको बताते चलें कि, इस गांव में यह प्रथा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है जहां पर सभी ग्रामीण इससे बहुत खुश हैं. गांव के एक अन्य ग्रामीण जिप्सन सोखलेट ने कहा कि एक-दूसरे से बात करने के लिए धुनों का भी इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे गाँव में लगभग 700 की आबादी है, इसलिए हमारे पास लगभग 700 अलग-अलग धुनें हैं। बताया जाता है कि, इस प्रथा को यह गांव में ही नहीं सभी गांवों में अपनाया जा रहा है।