भोपाल। विगत कई वर्षों से सुयश त्यागी सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य करते हुए युवाओं के जीवन आधारित विभिन्न आयामों को निकट से अनुभव कर रहे हैं । वर्ष 2017 में एक उपन्यास “ये फितूर और कश्मीरियत” प्रकाशित हुआ, जो देश की आजादी के पूर्व एक युवक के संघर्षों व उसके कश्मीर में व्यतीत जीवन पर मार्मिक और काल्पनिक चित्रण के रूप में उकेरा गया था। इसके साथ ही देश के प्रमुख समाचार पत्रों व अन्य डिजिटल माध्यमों में आलेखों का प्रकाशन होता रहता है।
यह उपन्यास “छूटते किनारे” भी एक युवक के जीवन का चित्रण है, जिसमें उस युवक के जीवन को मध्य में रख बचपन से लेकर युवास्था तक के संघर्षों, प्रेम, वात्सल्य, मित्रता जैसे विभीन्न पहलुओं का कल्पिनिक चित्रण कर बहुत ही बारीकी और सुंदरता से संजोया गया है। जिसे आज का अधिकतर युवा वर्ग स्वयं से जुड़ा हुआ महसूस करेगा। यह किताब ऑनलाईन पर पाठकों के लिए उपलब्ध भी हो चुकी है।