Opium Cultivation: देश में अफीम उत्पादन की बात हो और मध्यप्रदेश के नीमच जिले की बात न हो, ऐसा नहीं हो सकता है। पूरे देश में नीमच अफीम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। जिले में हजारों की संख्या में किसान अफीम की खेती (Opium Cultivation) करते है।
केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग (Central Narcotics Department) किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस (Licence) जारी करता है। इसके बाद किसान नारकोटिक्स विभाग के तय मापदंडों के आधार पर अफीम की खेती (Opium cultivation) करते है। हालांकि बिना लाईसेंस के अफीम की खेती करना गैरकानूनी है।
बता दें कि जिले में अफीम के खेती काफी बड़े लेवल पर की जाती है। नीमच जिले में नीमच व मनासा उपखंड के कुछ गांवों में किसानों ने सबसे पहले अफीम की बोवनी कर रखी थी। जिसके कारण वर्तमान में उनकी फसल बड़ी हो चुकी है। अभी तो अफीम निकालने डोडो की चिराई का सिलसिला शुरू हो चुका है। डोडो से ही अफीम तैयार किया जाता है।
इसी कड़ी में अफीम निकालने के लिए डोडो की चिराई का काम शुरू करने से पहले पूजा की जाती है। मान्यता अनुसार, डोडे को चीरा लगाने से पहले महाकाली की पूजा की जाती हैं। माता से हाथ जोड़कर प्रार्थना की जाती है कि वे अफीम की फसल का उत्पादन अच्छा करें।
सुरक्षा के मद्देनजर अफीम की खेती करने वाले दौहरी भूमिका में आ गए हैं। यानी खेती के साथ-साथ इसकी निगरानी भी करना। इसकी वजह अफीम के निकलते ही तस्करों का सक्रीय हो जाना है। सूत्रों की मानें तो तस्कर और उनके दलाल किसी न किसी माध्यम से काश्तकारों से संपर्क साधने में जुटे हुए हैं कि औसत से अधिक अफीम का उत्पादन होने पर नारकोटिक्स ब्यूरो को सौंपने के बाद जो अफीम बचती है, उसे हम खरीदेंगे।