Medulence Company : एंबुलेंस की कीमत क्या होती है, यह तो कोरोना काल के दौरान लोगों को पता ही चल चुकी है। कोरोना काल के दौरान एंबुलेंस का नहीं मिलना, या समय पर नहीं पहुंचने के चलते कई लाखों लोग मौत के मुंह में समा चुके है। आज हम एक ऐसी कंपनी की बात करने वाले है जिसकी एंबुलेंस 20 मिनट में मरीज तक पहुंच जाती है? जी हां हम बात कर रहे है मेंडुलेंस की, जिसके को पार्टनर रवजोत अरोड़ा है। साल 2012 में रवजोत अरोड़ा को उस समय एंबुलेंस के होने का अहसास जब उनके दादा जी की हालत बिगड़ गई थी। वक्त पर एंबुलेंस नहीं मिलने के चलते उन्होंने अपने दादा जी को खो दिया था। अरोड़ा अपने दादा जी से बेहद प्यार करते थे।
कंपनी बचा चुकी 10 लाख की जान
दादा जी के निधन के बाद उन्होंने साल 2016 में मेंडुलेंस नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया। उनकी मेडुलेंस कंपनी की एंबुलेंस 20 मिनट में मरीज तक पहुंचने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गई। उनकी कंपनी अबतक 10 लाख से अधिक लोगों की जान बचा चुकी है। इतना ही नहीं मेडुलेंस कंपनी करोड़ों का मुनाफा भी कमा चुकी है। रवजोत अरोड़ा ने साल 2016 में कंपनी के को फाउंडर प्रणव ने अपनी पीड़ा जाहिर की थी। इसके बाद दोनों ने जुलाई 2017 में मेंडुलेंस की शुरुआत की, जो ऑन डिमांड एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराती है। इतना ही नहीं कंपनी एंबुलेंस लीज पर देने के अलावा कुछ खास डेडिकेटेड प्रोजेक्ट के लिए एंबुलेंस खरीदती है। प्राइवेट एंबुलेंसेज को वेरिफाई करके उनका डाटा कलेक्ट कर स्टाफ की क्वालिटी की जांच करती है। कंपनी में प्राइवेट कंपनियां, हास्पिटल और अन्य सामाजिक संगठनों की एंबुलेंस भी रजिस्टर्ड हैं।
हेल्थकेयर फैसिलिटी
एंबुलेंस और पैरामेडिकल सर्विसेज देने के अलावा मेडुलेंस हेल्थकेयर फैसिलिटी ऑफर करती है, कस्टमर को कम दाम पर घर पर ही आईसीयू जैसी सुविधा दी जाती है। अब कंपनी ई फॉर्मेसी और लैब टेस्ट की सुविधा भी दे रही है, इसके अलावा फिजियोथेरेपी, स्टोमा केयर, ट्रैकियोस्टॉमी केयर की सुविधा भी कंपनी लगातार उपलब्ध करा रही है। आपको बता दें कि मुडुलेंस पिछले तीन साल से नेट प्रॉफिटेबल है, को फाउंडर प्रणव के मुताबिक कंपनी अब तक 24 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल कर चुकी है, माना जा रहा है कि इस साल कंपनी का रेवेन्यू 40 करोड़ के आसपास रह सकता है। कंपनी के के फाउंडर प्रणव का कहना है कि फिलहाल उनकी कंपनी एंबुलेंस को भी अपग्रेड और हाईटेक बनाने पर काम कर रही है।