नई दिल्ली। mahashivratri-2023 इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी का मनाया जाएगा। Mahashivratri 2023 upay लेकिन क्या आप जानते है इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास होने वाली है। वो इसलिए क्योंकि इस दिन न्याय के देवता शनि कुंभ रााशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। अगर आप भी इस दिन तो लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। Mahashivratri 2023 Date: महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष का संयोग mahashivratri-2023
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। ये दिन होने से महाशिवरात्रि का महत्व और अधिक बढ़ गया है। आपको बता दें शास्त्रों में ऐसे कुछ कार्य बताए गए हैं जिन्हें इस दिन करना वर्जित माना गया है। अगर आप ऐसे करते हैं तो भोलेनाथ आपसे नाराज हो सकते हैं। चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से काम हैं जिन्हें भूलकर भी नही करना चाहिए।
ये होगा पूजन का समय —
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2023 Shubh Muhurat)
प्रथम पहर पूजा समय: 18 फरवरी
शाम 06:41 मिनट से रात 09:47 मिनट तक
द्वितीय पहर पूजा समय : mahashivratri-2023 puja time
रात 09:47 मिनट से रात 12:53 मिनट तक
तृतीय पहर पूजा समय: 19 फरवरी
रात 12:53 मिनट से 03:58 मिनट
चतुर्थ पहर पूजा समय : 19 फरवरी
03:58 मिनट से सुबह 07:06 मिनट तक
इन गलतियों को करने से बचें — mahashivratri-2023 remedies
- महाशिवरात्रि पर आपको ध्यान रखना है कि भोलेनाथ के पूजन में केतकी और चंपा के फूल का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव द्वारा ये फूल श्रापित हैं। ऐसे में आपको भी इन फूलों के उपयोग से बचना है।
- किसी भी पूजा में अक्षत यानि चावल का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आपको भी ध्यान रखना है कि इसमें भूलकर भी टूटे अक्षत न चढ़ाएं। वो इसलिए क्योंकि टूटा चावल अपूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि टूटे हुए अक्षत चढ़ाने से बचें।
- टूटे बेल चढ़ाने से बचें। कोशिश करें कि जब भी बेल पत्र चढ़ाएं तो इस पर चंदन से राम लिखा हो।
- महाशिवरात्रि पर जो लोग चारों पहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें पहले प्रहर में जल से अभिषेक, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करने का विधान है। ऐसा करने से आपको यश और वैभव की प्राप्ति होती है।
- भगवान शिव को बेर चढ़ाने का भी विशेष महत्व होता है। वो इसलिए क्योंकि बेर को चिरकाल के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस रूप में शिवजी का प्रतीक मानते हैं।
- भगवान शिव के पूजन में रोली का पूजन नहीं करना चाहिए। इसकी जगह चंदन का उपयोग किया जाता है। वो इसलिए क्योंकि भगवान शिव के रुद्र रूप को शांत करने के लिए उनके माथे पर चंदन लगाया जाता है। चूंकि चंदन की प्रकृति ठंडी होती है। इसलिए इसका उपयोग भगवान शिव के पूजन में किया जाता है।
- काला रंग अशुभता का प्रतीक माना जाता है। पूजन में ये रंग वर्जित माना गया है। इसलिए कोशिश करें कि महाशिवरात्रि पर पूजन में लाल, सफेद या गुलाबी रंग का उपयोग किया जाए।
- इस बात का ध्यान रखें कि भगवान शिव को चढ़ाए प्रसाद को भूलकर भी ग्रहण न करना। ऐसा करना आपके जीवन दुर्भागय, हानि और बीमारियां ला सकता है।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।