Dinosaur Eggs: वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश के धार जिले में डायनासोर के 256 जीवाश्म अंडों और घोंसलों का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि ये अंडे शाकाहारी डायनासोर टाइटनोसॉरस (Titanosaur) के हैं। बता दें कि इसकी सूचना दिल्ली विश्वविद्यालय और मोहनपुर-कोलकाता एवं भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने दी है।
शोधकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के धार जिले के बाग और कुक्षी क्षेत्रों में ‘ओवम-इन-ओवो या मल्टी-शेल अंडे’ की खोज की सूचना दी है। बता दें कि ये खोज हर्ष धीमान, विशाल वर्मा, और गुंटुपल्ली प्रसाद सहित अन्य द्वारा की गई है।
वैज्ञानिकों को मांदों और अंडों के एक अध्ययन से करीब 6.6 करोड़ वर्ष पहले यहां से पलायन कर चुके लंबी गर्दन वाले सौरोपोड के जीवन के बारे में जानकारी मिली। धार जिला के बांकेर में एक उच्च माध्यमिक स्कूल में कार्यरत वर्मा ने कहा, ‘‘अंडे उस मुहाने से मिले जहां टेथिस सागर का नर्मदा नदी में विलय हुआ था, जब सेशेल्स भारतीय प्लेट से अलग हो गया था। सेशेल्स के अलग होने के कारण नर्मदा घाटी में 400 किलोमीटर अंदर टेथिस सागर घुस आया था। ’’
उन्होंने कहा कि मल्टी-शेल अंडे के पीछे का कारण अंडे देने के लिए अनुकूल परिस्थितियों को खोजने में मां की अक्षमता हो सकती है. ऐसी स्थिति में अंडे डिंबवाहिनी (Oviduct) में रह जाते हैं और खोल का निर्माण फिर से शुरू हो जाता है। अंडे देने से पहले डायनासोर के मरने की भी घटनाएं हो सकती हैं। ये अंडे 15 सेंटीमीटर और 17 सेंटीमीटर डायमीटर के बीच के थे जो संभवतः कई टाइटनोसॉर प्रजातियों के थे. प्रत्येक घोंसले में अंडों की संख्या एक से लेकर 20 तक होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि 2017 और 2020 के बीच क्षेत्र की जांच के दौरान, हमने मध्य प्रदेश के धार जिले में बाग और कुक्षी क्षेत्रों में डायनासोर की व्यापक हैचरी पाई, विशेष रूप से अखाड़ा, ढोलिया रायपुरिया, झाबा, जमनियापुरा और पदल्या गांवों में। इस रिसर्च को नर्मदा घाटी के लामेटा फॉर्मेशन में किया गया था।