नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने बिहार में जहरीली शराब से हुई त्रासदी की विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने बिहार स्थित आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन की ओर से पेश अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक से कहा कि उच्च न्यायालय स्थानीय स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है। पीठ ने कहा, ‘आपने जो भी राहत मांगी है, जैसे-घटना की एसआईटी जांच, अवैध शराब के निर्माण और व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय योजना और पीड़ितों को मुआवजा- सभी को उच्च न्यायालय द्वारा निपटाया जा सकता है।
संबंधित उच्च न्यायालय स्थानीय परिस्थितियों से अच्छी तरह से वाकिफ है। उनके पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत व्यापक शक्तियां हैं।’ पाठक ने कहा कि देश में आए दिन जहरीली शराब की घटनाएं हो रही हैं और यह किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘एक शीर्ष अदालत की पीठ पहले से ही पंजाब में एक त्रासदी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही है। जब तक विभिन्न राज्यों को एक पक्षकार बनाने के साथ राष्ट्रीय स्तर की योजना नहीं बनाई जाती, तब तक अवैध शराब के निर्माण और बिक्री को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा। अवैध शराब के सेवन से कई लोगों की जान चली जाती है।’’
पीठ ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि वह एनजीओ को राहत के लिए संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दे रही है। शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह नौ जनवरी को याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया कि पिछले साल 14 दिसंबर को बिहार में हुई जहरीली शराब त्रासदी ने देश में ‘‘कोहराम’’ मचा दिया। इसमें दावा किया गया, ‘नकली शराब के सेवन से अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य अस्पताल में भर्ती हैं और इस घटना की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है।’