Joshimath sinking : उत्तराखंड का सबसे धार्मिक शहर जोशीमठ (Joshimath sinking) तबाह की राह पर है। जोशीमठ के मकानों में दरारे आने लगी है तो वही सड़के फटने लगी है। जमीने धसक रही है। बताया यह भी जा रहा है कि धरती से कई अजीवों गरीब आवाजों को भी सुना जा रहा है। हालत ऐसे दिखने लगे है कि जोशीमठ (Joshimath sinking) कुछ ही दिनों में तवाह हो जाएगा। मकानों में दरारे पड़ने के चलते लोग यहां से पलायन करने लगे है। क्योंकि इसे रोकना संभव नहीं है। खबरों की माने तो साल 1976 से जोशीमठ (Joshimath sinking) के तवाह होने के संकेत मिलने लगे थे। लेकिन आज जो नतीजे सामने आ रहे है उसके मुताबिक जोशीमठ (Joshimath sinking) को अब कोई नहीं बचा सकता।
खबरों के अनुसार जोशीमठ (Joshimath sinking) में हो रहे भूस्ख्लन से शहर के करीब 700 से भी अधिक घरों, इमारतों और दुकानों में दरारें आ गई है। जोशीमठ (Joshimath sinking) कस्बे के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह जो भी विपदा आ रही है इसकी जिम्मेदार भूस्खलन के लिए चल रही जलविद्युत परियोजना और अन्य निर्माण कार्य हैं।
क्यों तबाह हो रहा जोशीमठ?
जोशीमठ (Joshimath sinking) में दरारें पड़ने लगी है। कई घरों की दीवारें तो लटकने लगी है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, इसे जानने के लिए एक विशेषज्ञों की टीम ने जांच शुरू कर दी है। वही जोशीमठ (Joshimath sinking) के पावर प्रोजेक्ट और जमीन के अंदर बन रहे टनल के कार्य को रोक दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जोशीमठ (Joshimath sinking) में जो परियोजनाए चल रही है यही भूस्खलन की जिम्मेदार है। जमीन के अंदर बनी सुरंगों ने शहर को तहस नहस करके रख दिया है।
उत्तराखंड के लिए बेहद अहम जोशीमठ (Joshimath sinking)
जोशीमठ शहर, देश ही नहीं बल्कि उत्तराखंड़ के लिए बेहद अहम है। यह प्रदेश का धार्मिक शहर माना जाता है। यह ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर स्थित है। जोशीमठ (Joshimath sinking) में लोग रात रूकते है। क्योंकि यह शहर धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर देखा जाता है। इतना ही नहीं जोशीमठ (Joshimath sinking) सेना की सबसे महत्वपूर्ण छावनियों में से एक है। लेकिन अब इस शहर पर खतरा मंडराने लगा है। ऐसा मानों की पूरा का पूरा शहर धरती में समाने की कगार पर है।