भिंड/सौरभ शर्मा। Rajeev Daipuriya UPSC Topper चंबल के बीहड़ में कभी डाकुओं की गोलियों की गूंज हुआ करती थी, लेकिन इस वक्त राजीव दैपुरिया के चर्चा गर्म है। भिंड के सपाढ़ गांव के रहने वाले राजीव दैपुरिया ने यूपीएससी में पहला रैंक हासिल किया है। यानी उन्होंने सिविल सर्विसेज में टॉप किया है। मध्यप्रदेश का मान बढ़ाने वाले राजीव ने इस सफलता को विषम परिस्थितियों से लड़कर हासिल किया। उन्होंने नौकरी करते हुए ये मुकाम हासिल किया। राजीव बताते हैं कि अपनी तैयारी के लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली। उन्होंने खुद ही कुछ नोट्स और ऑनलाइन मटेरियल जुटाकर सफलता हासिल की। वहीं राजीव की सफलता पर उनके परिवार वालों से भी हमारे संवाददाता सौरभ शर्मा ने बातचीत की। Rajeev Daipuriya
UPSC Topper चंबल में भिंड का नाम हमेशा डाकू और बागियों के नाम से जाना जाता था लेकिन अब शिक्षा के नाम पर भी नाम आगे बढ़ रहा है। संसाधनों की कमी आपका रास्ता नहीं रोक सकती है सिर्फ आप में कुछ कर गुजरने का जज्बा होना चाहिए यह कहना है सिविल सर्विसेज में प्रथम स्थान पाने वाले राजीव दैपुरिया का जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए अपनी सफलता को हासिल किया है भिंड का ही नहीं मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया।
दरअसल भिंड जिले के बीहड़ी इलाके में बसे हुए सपाढ़ गांव के रहने वाले राजीव दैपुरिया ने कड़े संघर्ष के बाद दूसरे लोगों के लिए एक एग्जांपल सेट कर दिया है कि भले ही कितनी मुश्किलें क्यों ना आए लेकिन आपको अपना लक्ष्य पाने से कोई नहीं रोक सकता है। अपनी शुरुआती शिक्षा भिंड में लेने वाले राजीव देपुरिया ने नौकरी के साथ इंजीनियरिंग सर्विसेज की तैयारी की। राजीव बताते हैं कि जब उन्होंने इंजीनियरिंग सर्विसेज की तैयारी की तो उनके सामने कई मुश्किलें थी वह नौकरी कर रहे थे। UPSC First Rank
इस दौरान उन्हें अपनी नौकरी भी सुरक्षित रखनी थी और पढ़ाई के लिए वक्त भी निकालना था। राजीव बताते हैं कि इन दोनों के साथ घर वालों से बात करने के लिए भी समय निकालना मुश्किल हो जाता था। लेकिन राजीव ने हार नहीं मानी। राजीव बताते हैं कि अपनी तैयारी के लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली। उन्होंने खुद ही कुछ नोट्स और ऑनलाइन मटेरियल एकत्रित करके यह सफलता हासिल की है। राजीव कहते हैं कि संसाधनों की कमी आपको आपका लक्ष्य पानी से नहीं रोक सकती है। सिर्फ आपने अपना लक्ष्य पाने का जज्बा होना चाहिए। UPSC
राजीव बताते हैं कि उनकी तबीयत खराब हो जाती थी तो वह सोचते थे कि तबीयत तो ठीक हो जाएगी लेकिन अगर तबीयत खराब होने की वजह से पढ़ाई नहीं की तो उनका पेपर जरूर खराब हो जाएगा यही सोचकर राजीव ने अपने शरीर की हर परेशानी और अपने जीवन के हर संघर्ष को पार करते हुए इंजीनियरिंग सर्विसेज में प्रथम स्थान हासिल करके न केवल अपने माता-पिता का बल्कि भिंड का नाम भी रोशन कर दिया।
राजीव के पिता रघुराज देपुरिया बताते हैं कि उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए दो लाख का कर्ज तक ले लिया था बेटे को किताबें देने के लिए भी बिहार तक पहुंचे थे। इस दौरान आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उन्हें दिक्कतों का काफी सामना करना पड़ा था। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके बेटे ने सफलता हासिल कर ली है। यह बताते हुए राजीव दैपुरिया की आंखे आशुओ से भर आती है।
रघुराज दैपुरिया ने सरकार से यह आग्रह किया है कि सरकार लोगों को मुफ्त में राशन बांटने जैसी योजना की बजाय अगर बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करें और यह निशुल्क शिक्षा हर जाति और वर्ग के लिए हो तो हर बच्चा शिक्षित होकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है फिर सरकार को किसी भी तरह का कोई मुफ्त राशन बांटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राजीव की सफलता से राजीव की दादी भी बेहद खुश हैं। कुल मिलाकर भिंड जिले से निकले राजीव ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन कर दिया है।