इंदौर। उज्जैन रेलवे से चोरी हुए बच्चे को आखिरकार सही सलामत बरामद कर लिया गया है। जीआरपी GRP ने बच्चे को मेघनगर नगर रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन से बरामद किया है। बताया गया कि बच्चे को ट्रेन में अकेला छोड़कर आरोपी फरार हो गया था। बच्चा चोरी करने वाले व्यक्ति की तलाश जारी है। फिल्हाल बच्चे को बाल संरक्षण समिति के पास रखा गया है। 24 दिसंबर को उज्जैन रेलवे स्टेशन से यह बच्चा चोरी हुआ था, जिसे 29 दिसंबर को बरामद किया गया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के उज्जैन रेलवे स्टेशन से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देने वाला एक वीडियो सामने आया। दरअसल, उज्जैन के बागपुरा निवासी वैष्णवी (22) का अपने पति श्रवण से झगड़ा हो गया था, जिसके बाद वह अपने 2 साल के बच्चे वंश को लेकर 23 दिसंबर की रात उज्जैन रेलवे स्टेशन पहुंच गई। यहां प्लेटफार्म नंबर एक पर टिकिट काउंटर के सामने बैठे लोगों के बीच बैठ गई। दूसरे दिन 24 दिसंबर को जब वह बच्चे को कुर्सी पर लिटाकर दूध पिलाने वाली बोतल धोने गई तो इतने में ही 2 वर्षीय वंश वहां से गायब हो गया। महिला ने घबाराकर जीआरपी थाने में जाकर इसकी शिकायत की।
यहां मिहिला ने आरोप लगाया था कि जीआरपी पुलिस ने यहां उसकी एक नहीं सुनी। उलटा उसे ही बच्चा चोरी करवाने की बात करते हुए गुस्सा होने लगे। महिला दिनभर अपने बच्चे को रेलवे स्टेशन और सड़कों पर ढूंढती रही। लेकिन बच्चे का कुछ पता नहीं चल सका। उसने घर जाकर अपने पति और परिवार वालों को वंश के खो जाने की जानकारी दी, जिसपर पूरा परिवार बच्चे की खोजबीन में जुट गया।
जब परिवार के लोग बच्चे को ढूंढ रहे थे तो रोगी कल्याण समिति के सदस्य रहे राजेश बोड़ाना ने उनकी मदद की। देवासगेट थाने के टीआई राममूर्ति शाक्य से मिलकर जीआरपी थाने से सीसीटीवी फुटेज दिखवाए गए तो उसमें एक व्यक्ति रेलवे स्टेशन से बच्चे को ले जाते हुए दिखाई दिया, जिसके बाद बच्चा चोरी होने की एफआईआर दर्ज की गई। 25 दिसंबर को शाम करीब चार बजे रिपोर्ट लिखी जा सकी।
महिला का कहना है कि पति से झगड़ा होने के बाद वह बेटे वंश को लेकर भोपाल जाने के लिए उज्जैन रेलवे स्टेशन पर बैठी थी। दूसरे दिन सुबह जब में बच्चे के लिए पिलाने वाली बोतल सामने ही लगे नल पर धोने गई तो इस बीच बच्चा बेंच से गायब हो गया। जब मैने इस बात की शिकायत जीआरपी थाने में टीआई सी की उन्होंने अपशब्द कहे और थप्पड़ मारा। मैंने सीसीटीवी चेक करने की गुहार लगाई तो पुलिस ने मेरी एक नहीं सुनी। बच्चे की खोज में मैं सुबह से लेकर रात तक भटकी रही। दूसरे दिन मेरी रिपोर्ट लिखी गई।