Sammed Shikharji controversy : सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा और पवित्र तीर्थ स्थल है। जैन समुदाय के अनुसार शिखर जी से भगवान पारस नाथ मोक्ष गए थे। उनके चरण आज भी सम्मेद शिखर जी की सबसे बड़ी टोक पर स्थित है। देशभर से लाखों जैन समुदाय के लोग यहां दर्शन करने आते है। सम्मेद शिखर जी झारखंड के गिरिडीह में स्थित है। सम्मेद शिखर जी को केंन्द्र सरकार द्वारा पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर देशभर में जैन समुदाय इसका विरोध कर रहा है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में जैन समाज ने तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाए जाने की घोषणा को वापस लेने के लिए अपना विरोध प्रदर्शन जताया है साथ ही बीते दिनों जैन समाज द्वारा अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखकर इस फैसले का विरोध किया।
क्यों हो रहा विरोध, क्या है मांग
दरअसल, झारखंड में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह तीर्थ सबसे बड़ा तीर्थ भी माना जाता है। जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर भगवान और असंख्य महामुनिराजों ने इसी पवित्र भूमि से तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है। झारखंड सरकार ने इसे टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। जैन समाज इसी का विरोध कर रही है। जैन समाज की मांग है कि तीर्थ क्षेत्र को तीर्थ ही रहने दिया जाए।
क्या है मान्यता
सम्मेद शिखर जी को लेकर जैन समाज की मान्यता है कि जिस तरह से गंगा जी में डूबकी लगाकर लोगों के पाप धुल जाते है, ठीक वैसे ही शिखर जी की वंदना करके पापों का नाश होता है। शिखर जी में 27 किलोमीटर की वंदना है, जिसमें कई मंदिर स्थापित हैं। पारसनाथ पहाडी झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। उच्चतम चोटी 1350 मीटर है। यह जैन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल केंद्र में से एक है। वे इसे सम्मेद शिखर कहते हैं। 23 वें तीर्थंकर के नाम पर पहाड़ी का नाम पारसनाथ रखा गया है। 20 जैन तीर्थंकरों ने इस पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया। उनमें से प्रत्येक के लिए पहाड़ी पर एक मंदिर है। पहाड़ी पर कुछ मंदिर 2,000 साल से अधिक पुराने माना जाता है। हालांकि यह जगह प्राचीन काल से बनी हुई है।