Two Wheeler: आप सभी नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे पर कभी न कभी गुजरे होंगे। टोल प्लाजा में कार, बस, ट्रक और भी जितनी बड़ी गाड़ियां होती है, इन सब पर टोल टैक्स वसूला जाता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि जो दोपहिया वाहन होते हैं, उनसे टोल टैक्स नहीं लिया जाता है। आईए जानते है कारण।
टोल टैक्स होता क्या है? और क्यों लिया जाता है?
हम जिस रोड पर चलते हैं, उसे सरकार बनवाती है। जब बात हाइवे या एक्सप्रेसवे की होती है तो रोड बनाने की ये लागत भी लंबी-चौड़ी बैठती है। इन सड़कों की लागत और मेंटिनेंस निकालने के लिए सरकार टोल टैक्स के जरिए जनता से पैसा वसूलती है। सरकार कई सड़कों को बनाने का ठेका प्राइवेट कंपनियों को दे देती है। जिसके एवज में उन्हें तय समय के लिए टोल वसूलने का अधिकार दिया जाता है। जो नए बने हुए हाइवे या एक्सप्रेसवे होते हैं, उन पर टोल टैक्स ज़्यादा होता है। खास बात यह है कि जब रोड की लागत निकल जाती है, तो सरकार टोल टैक्स कम कर सकती है या खत्म कर सकती है।
रोड टैक्स और टोल टैक्स में अंतर
कुछ लोग रोड टैक्स और टोल टैक्स को एक ही समझ लेते है इसलिए वो टोल टैक्स को गलत मानते है लेकिन ऐसा नही है दोनो में अंतर है। रोड टैक्स आपकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के साथ वसूल किया जाता है , जो आपको राज्य की सभी सड़कों पर गाड़ी चलाने की अनुमति देता है। वही टोल टैक्स किसी सड़क की मरममत और निर्माण के लिए पैसा जुटाने के लिए उस सड़क पर चलते समय वसूला जाता है।
दो पहिया वाहनों का टोल क्यों नही लगता?
बाईक या दो पहिया वाहनों से टोल टैक्स ना लेने के कई कारण है। पहला कारण यह है की सड़क को सबसे ज्यादा नुकसान बड़े वाहन या चार पहिया वाहन करते हैं। इस वजह से सड़क को ज्यादा मरम्मद की जरूरत पड़ती है और इसमें ज्यादा खर्च भी आता है। इसलिए बड़े वाहनों से ज्यादा टोल लिया जाता है और छोटे चार पहिया वाहनों से कम और दो पहिया वाहन से नहीं लिया जाता क्योंकि उनसे सड़क को नुकसान नहीं पहुंचता। इसके अलावा सरकार ये मानती है की दो पहिया वाहन चलाने वाले चार पहिया चलाने वाले वाहन की तुलना में आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उनसे टोल टैक्स नहीं वसूला जाता।
दो पहिया वाहन से टोल टैक्स ना वसूलने का एक कारण और होता है की सरकार यह मानती है की दो पहिया वाहन पूरा हाईवे का सफर नहीं करते। इसलिए उनसे टोल टैक्स ना लिया जाए जबकि चार पहिया या बड़े वाहन पूरा हाईवे का सफर करते हैं। बहुत ही कम लोग होते हैं जो लंबा सफर दो पहिया वाहन से तय करते हैं। इसलिए सरकार उन्हें संदेह का लाभ देती है और उनसे टोल नहीं वसूलती। दो पहिया वाहन का आकार भी कम होता है जिसके कारण वो हाईवे को ज्यादा नहीं घेरते और उनके कारण जाम लगने की संभावना कम होती है।
कई बार ऐसा होता है की टोल प्लाजा के आस पास गांव वालों को बार बार टोल क्रॉस करना पड़ता है इसलिए उन्हें टोल में छूट दी जाती है। यह छूट ज्यादातर 15 से 20 किलोमीटर के अंदर पड़ने वाले गांव के लोगों को दिया जाता है। हालांकि बताते चलें कि कई ऐसे टोल प्लाजा भी हैं जहां दो पहिया वाहनों को भी टैक्स देना पड़ता है जैसे यमुना एक्सप्रेसवे।