भोपाल। आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में हम कई बार हमारे स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। अनियमित दिनचर्या और खानपान के अलावा वर्क लोड अधिक होने के कारण हम तनाव में आ जाते हैं। तनाव के कारण कई बार हम पूर्ण रूप से नींद नहीं ले पाते हैं और हमारा शरीर भी आराम नहीं कर पाता। अनियमित जीवनशैली के कारण कई हम बीमार पड़ जाते हैं और डॉक्टर की शरण लेना पड़ती है। इससे हमारा वक्त भी बर्बाद होता है और हॉस्पिटल का खर्चा अलग से वहन करना पड़ता है। इन सबसे बचने के लिए निरोगी रहना जरूरी है। इन उपायों से रह सकते हैं स्वस्थ—
1. शरीर के लिए कितना कारगार है तांबा
तांबा मानव शरीर के लिए सबसे कारगार वस्तु मानी जाती है। यह धातु हमारे जीवन में भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। तांबा को औषधीय धातु भी माना जाता है। यह विद्युत् का सुचालक है और अग्नि तत्व से भरपूर है। यह ज्योतिष में मंगल और सूर्य से संबंध रखता हैं। अगर तांबे के बर्तन में रातभर या पिफर चार घंटे तक पानी को रख दिया जाए तो यह पानी और गुणकारी हो जाएगा। तांबे के कुछ लाभादायक गुण भी पानी में रह जाते हैं। यह पानी आपके शरीर और लीवर के लिए बहुत ही लाभदायक है। यह आपकी सेहत और शक्ति-स्फूर्ति के लिए उत्तम माना जाता है।
2. आपके शरीर को भी है आराम की जरूरत
स्वस्थ रहने के लिए आपकी जीवनशेली और दिनचर्या पर निर्भर करता है। गैर जिम्मेदाराना लाइफस्टाइल आपको नुकसान पहुंचा सकती है। आप सोने किस वक्त जाते हैं, यह तो आपके लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है, लेकिन आपको कितने घंटे की नींद की जरूरत है। यह स्वस्थ शरीर के लिए कितनी जरूरी है। कहा जाता है दिन में आठ घंटे की नींद जरूरी है। लेकिन इस शरीर को नींद के अलावा आराम की सबसे ज्यादा जरूरत है। पूरे दिन शरीर को आराम मिलता है, आपका काम भी आराम का है। व्यायाम भी आपके लिए आराम ही है तो आपको आठ घंटे या उससे ज्यादा नींद लेने की जरूरत नहीं होगी। अकसर लोग सवाल पूछते हैं आखिर कितने घंटे की नींद जरूरी है। यह आपके शारीरिक श्रम पर निर्भर करता है कि कितने घंटे नींद की जरूरत है। आपको न तो भोजन की मात्रा निर्धारित करने की आवश्यकता होगी और न ही नींद के घंटे। आपकी नींद आपके शारीरिक श्रम पर निर्भर करती है। नींद की सबसे बड़ी खासियत है कि जिस वक्त आपके शरीर को पूरा आराम मिल जाएगा, यह उठ जाएगा। चाहे सुबह के 3 बजे हों या सुबह के आठ। आपका शरीर को अलार्म की जरूरत नहीं होती है, उसे जब आराम मिल जाता है तो वह खुद ही जग जाता है।
3. 40 से 48 दिनों के बीच एक चक्र से गुजरता है शरीर
आयुर्वेद का मानना है कि मानव शरीर एक प्राकृतिक चक्र से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह चक्र हर बार 40 से 48 दिनों में बदलता है। हर चक्र के दौरान तीन दिन ऐसे भी होते हैं जिनमें हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं रहती है। यदि आप अपने स्वस्थ शरीर के लिए सजग हैं तो आपको इस चक्र का अहसास हो जाएगा और उस दौरान शरीर को भोजन की जरूरत भी नहीं होती है। इन तीन दिनों में से किसी एक दिन बिना भोजन के आराम से रहा जा सकता है। औसतन पंद्रह दिनों के अंतराल में भी एक दिन ऐसा आता है जब आपका मन कुछ खाने को नहीं करेगा। इस चक्र मंडल के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी कि कुत्ते और बिल्लियों के अंदर भी इतनी सजगता होती है। ये भी किसी खास दिन कुछ भी नहीं खाते। ये अपने प्राकृतिक सिस्टम के प्रति स्वत: ही सजग रहते हैं। जिस दिन सिस्टम कहता है कि आज खाना नहीं चाहिए, वह दिन उनके लिए शरीर की सफाई का दिन बन जाता है और उस दिन वे कुछ भी नहीं खाते। लेकिन मानव शरीर के अंदर इसको लेकर सजगता व सिस्टम की पहचान करने की क्षमता कम होती है। इससे उन खास दिनों को पहचानने में समस्या होती है। फिर क्या किया जाए! बस इस समस्या के समाधान के लिए आयुर्वेद ने एक दिन तय कर दिया है। यह दिन हिंदू माह की हर चौदस यानी पूर्णिमा और अमावस्या से एक दिन पहले का तय किया गया है। इसके तहत हर 14 दिनों में एक दिन उपवास कर सकते हैं। अगर आप बिना कुछ खाए रह ही नहीं सकते या आपका कामकाज ऐसा है। जिसके चलते भूखा रहना आपके वश में नहीं और भूखे रहने के लिए जिस साधना की जरूरत होती है। वह भी आपके पास नहीं है, तो आप फलाहार ले सकते हैं। कुल मिलाकर बात इतनी है कि बस अपने सिस्टम के प्रति जागरूक हो जाएं।
4. शरीर को झुकाकर बैठने से नहीं मिलता आराम
शरीर का कोई भी अंग हो उसे आराम की जरूरत होती है। उसके भीतरी अंगों को भी आराम की जरूरत होती है। हम इसके एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। शरीर के अधिकतर जरूरी भीतरी अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये सारे अंग ढीले-ढाले और एक जाली के अंदर झूलते रहते हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें।आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता। शारीरिक के अंग उतने ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते जितना उनको करना चाहिए। खासकर तब जब आप भरपेट खाना खाने के बाद आरामदायक कुर्सी पर बैठ जाते हैं। शरीर को सीधा रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि हमें आराम पसंद नहीं है, बल्कि इसकी सीधी सी वजह यह है कि हम आराम को बिल्कुल अलग ढंग से समझते और महसूस करते हैं। आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर अपनी मांसपेशियों को आराम में रहने की आदत डाल सकते हैं। लेकिन इसके उलट, जब आपकी मांसपेशियां झुकीं हों, तो आप अपने अंगों को आराम में नहीं रख सकते। आराम देने का कोई और तरीका नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने शरीर को इस तरह तैयार करें कि रीढ़ को सीधा रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहें।