रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण को लेकर विशेष सत्र के दूसरे व अंतिम दिन शुक्रवार को आरक्षण को लेकर भारी बवाल हुआ। बहस यहां तक पहुंच गई कि कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं में हाथापाई की नौबत तक आ गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण के मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्य के बीच उस वक्त हाथापाई की नौबत आ गई जब मंत्री शिव कुमार डहरिया और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर आरक्षण के मुद्दे को लेकर बहस करते-करते उग्र हो गए। हलांकि इसी बीच अन्य विधायकों ने बीच-बचाव करते हुए दोनों को रोक लिया। इस धक्का-मुक्की और सदन से विपक्ष ने वॉक आउट के बाद के बाद विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया गया, जिसे बीजेपी और विपक्ष की ओर से रोका जा रहा है। इस मामले में कैबिनेट मंत्री शिव डहरिया ने बताया कि विपक्ष गलत व्याख्या कर रहा है।
इसीलिए बनी विवाद की स्थिति
बता दें कि पूर्व मंत्री व बीजेपी एमएलए अजय चंद्राकर ने सवाल करते हुए मोहन मरकाम पर विशेषाधिकार भंग करने का आरोप लगाया और कार्यवाही करने की मांग की। इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि विधानसभा की अधिसूचना से पहले ही मोहन मरकाम को कैसे यह पता चला कि 2 दिसंबर को बिल पेश होगा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसपर अपना फैसला बाद में देंगे। इसी बीच अजय चंद्राकर और मंत्री शिव डहरिया के बीच विवाद हो गया। सदन में ऐसा पहली बार हुआ है जब नेताओं के बीच हाथापाई की नौबत आई।
ब्रह्मानन्द नेताम पर लगे आरोप का मुद्दा उठा
विधानसभा की कार्यवाही में आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा में पूर्व CM रमन सिंह ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार विधेयक लेकर आई है। छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगरी का दावा करते है। छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर समाप्त कर दिए हैं। पुलिस भर्ती के साथ ही शिक्षा विभाग भर्ती में रोक लग गई। ये विधेयक सामान्य परिस्थिति में नहीं लाया जा रहा है। बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि बिल को फिर कोर्ट में ले जाया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि डर के मारे सरकार शीतकालीन सत्र नहीं बुला रही है। मैं इस बिल का समर्थन करते हुए SC वर्ग को 16 प्रतिशत और EWS वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करता हूं। वहीं कांग्रेस ने भानुप्रतापपुर से बीजेपी प्रत्याशी ब्रह्मानन्द नेताम पर लगे आरोप मुद्दा उठाया। कांग्रेस ने पूछा कि ब्रह्मानन्द नेताम के नामांकन पर आपत्ति क्यों नहीं की।