भोपाल। मध्य प्रदेश वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में अलग-अलग बाड़ों में रह रहे आठ चीतों को एक बड़े बाड़े में स्थानांतरित (शिफ्ट) किया जा सकता है या नहीं, यह तय करने के लिए वहां पहले व्यवस्था की जांच की जाएगी। चीतों को भारत में बसाने की योजना के तहत नामीबिया से 17 सितंबर को केएनपी लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को बाड़ों में छोड़ा था। पांच नवंबर को इनके यहां 50 दिन पूरे हो जाएंगे।
छोड़ने से पहले की स्थिति देखी जाएगी
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘मैं व्यवस्थाओं का प्रत्यक्ष जायजा लेने के लिए केएनपी जा रहा हूं और आठ चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ने से पहले की स्थिति देखूंगा। अगले कुछ दिनों में एक या दो चीते जो पूरी तरह से सहज हैं, को पांच वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले ‘बाड़े’ में स्थानांतरित किया जाएगा।’’ चीता आशा के गर्भवती होने की अटकलों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि वह गर्भवती है या नहीं। मादा चीता की गर्भधारण अवधि 90 दिन की होती है। (शनिवार को चीते भारत में 50 दिन पूरे कर लेंगे।) कार्यबल द्वारा सभी चीतों को चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा।’
कोई ‘प्रेग्नेसी बम्प’ नहीं
केएनपी के वन मंडलाधिकारी पीके वर्मा ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि चार दिन पहले जब चीता आशा को उन्होंने देखा तो उसे कोई ‘प्रेग्नेसी बम्प’ (गर्भवस्था के दौरान शरीर में होने वाला बदलाव) नहीं था। सोमवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा चीतों को देश में बसाने की निगरानी के लिए गठित कार्यबल ने चरणबद्ध तरीके से छोटे बाड़ों से बड़े बाड़े में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी। विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर जंगली जानवरों को स्थानांतरण से पहले और बाद में एक महीने के लिए पृथकवास में रखा जाता है। अधिकारियों ने कहा कि पांच मादा और तीन नर सहित कुल आठ चीतों को छह बाड़ों में रखा गया है और भैंस का मांस उन्हें खाने के लिए दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में 1947 में भारत के अंतिम चीते की मृत्यु हुई थी और इसके बाद 1952 में इस प्रजाति को देश में विलुप्त घोषित किया गया था।
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