रतलाम। दिलजीत सिंह मान । Mahalaxmi Temple Ratlam
रतलाम। हर साल दिवाली पर रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को करेंसी नोट्स से सजाया जाता है। करोड़ों रुपए के नोट इसमें इस्तेमाल होते हैं। इस बार दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इस बार मंदिर में बाहर से ही दर्शन करने होंगे। करोड़ों रुपये के करेंसी नोट्स से सजा देवी महालक्ष्मी का दरबार रतलाम में तैयार है।
इस बार भी करेंसी नोट्स की गड्डियों और उनकी झालर से मंदिर को सजाया गया है। कोरोना के चलते इस बार सावधानी बरती जा रही है। किसी भी भक्त को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। बाहर से ही दर्शन किए जा सकते हैं। मध्यप्रदेश का रतलाम सराफा और अपनी खास रतलामी सेंव के लिए प्रसिद्ध है। इसी रतलाम के माणक चौक में महालक्ष्मी मंदिर है। जो दिवाली के दौरान अपनी सजावट की वजह से भक्तों और लोगों का ध्यान खींचता है।
कुबेर के खजाने के रूप में है मंदिर की प्रसिद्धि –
रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर की प्रसिद्धि कुबेर के खजाने के रूप में है। दीपावली के पांच दिनों तक यहां कुबेर के खजाने.सा नजारा रहता है। मंदिर में हार-पुष्प से सजावट नहीं होती। बल्कि नोटों की गड्डियों के वंदनवार बनाए जाते हैं। सोने.चांदी के जेवरात से सजावट की जाती है। स्थानीय ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के भक्त भी यहां अपना नकदी ज्वेलरी है। वहीं दर्शन के लिए मुम्बई और देश के कोने कोने से श्रद्धालु रतलाम पहुंचते है। इसी परंपरा के चलते रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को कुबेर का खजाना कहा जाता है।
रतलाम का प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर 3 दिनों के दीपावली पर्व पर नोटों की गड्डियों हिरे मोती और ज्वेलरी से सजा है। इस कुबेर के ख़ज़ाने को और महालक्ष्मी के दर्शन को भक्तो का हुजूम सुबह 4 बजे से आना शुरू हो गयी है। आज पांच दिनों तक इस महालक्ष्मी मंदिर में इसी तरह भक्तो का हुजूम उमड़ेगा। सुरक्षा की दृष्टि से यहाँ सीसीटीवी कैमरे सशस्त्र पुलिस जवानो को तैनात किया गया है।
रतलाम का प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर कुबेर के ख़ज़ाने में तब्दील हो चुका है। यहाँ परंपरा है की धन तेरस से दीपावली तक अपना धन यहाँ मंदिर में रखने से महालक्ष्मी प्रसंग होती हैं और धन की वृद्धि होती है। इसी परंपरा के चलते यहाँ रतलाम व् गुजरात से भी कई श्रद्धालु यहाँ आते हैं और अपना धन इस मंदिर में रखते हैं।
ज्वेलरी भी रखते हैं भक्त –
यहाँ श्रद्धालु नोटों की गड्डियों के अलावा अपनी ज्वेलरी भी रखते हैं। इतने श्रद्धालु इस मंदिर में अपना धन रख जाते हैं। पूरे मंदिर में कुबेर का खज़ाना दिखाई देने लगता है। इस कुबेर के ख़ज़ाने को देखने दूर दूर से 5 दिनों तक हजारो की संख्या में श्रद्धालु आते है। मंदिर में कड़ी सुरक्षा के भी इंतजाम प्रशासन करता है। यहाँ सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं। इसके अलावा पुलिस व्यवस्था भी यहाँ है।
क्या कहते हैं पुजारी –
मंदिर के पुजारी बताते है ंइस प्राचीन मंदिर में सालो से यह परंपरा है। आस्था है कि यहाँ अपना धन रखने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। धन में वृद्धि होती है। हजारों श्रद्धालु 3 दिनों तक यहाँ दर्शन को आते है।
पांच दिनों के लिए यहां रखते हैं अपना धन –
धनतेरस के कई दिन पहले से यहाँ बड़े व्यापारी अपना सोना चांदी व नोटों की गड्डियां मन्दिर में लाकर देते हैं। इसके अलावा कई श्रद्धालु भी अपनी ज्वेलरी या कीमती सामान यहाँ लेकर 5 दिनों के लिए रखते है। इसके लिए रजिस्टर में एंट्री भी की जाती है साथ ही 5 दिन बाद सभी अपना सामान वापस ले जाते है। मान्यता है कि 5 दिनों के दौरान माँ लक्ष्मीजी के पास अपना धन रखने से घर में सुख समृद्धि आती है। वे धन की कमी नहीं आती।
सुबह 4 बजे से लग जाती हैं कतारें –
इधर श्रद्धालु सुबह 4 बजे से ही लंबी कतार में माँ महालक्ष्मी के दर्शन को खड़े हो जाते हैं। लंबी कतार लगी दिखाई देती है। वहीं श्राद्धालु आज धन तेरस के दिन महालक्ष्मीजी के दर्शन को बड़ा ही शुभ मानते है। भक्तो का कहना है कि यहां के जैसा नजारा कहीं और देखने को नहीं मिलता। पूरा मंदिर कुबेर के ख़ज़ाने की तरह दिखाई देता है।