Akhilesh Yadav : मुलायम सिंह वो नेता थे जिनके चलते पार्टी से कई पुराने और दिग्गज नेता जुड़े रहे। भले ही पार्टी की कमान अखिलेश के हाथों में रही हो, लेकिन पार्टी के संरक्षक नेता जी मुलायम सिंह के निधन के बाद से सवाल उठने लगे है कि क्या अखिलेश यादव पार्टी को संभाल पाएंगे। मुलायम सिंह के जाने से पार्टी पर कितना असर पड़ेगा। पार्टी को आगे बढ़ाने में अखिलेश कितने सफल होंगे। आखिर अखिलेश की आगे की रणनीति क्या होगी? यह हर कोई जानना चाहता है।
वैसे तो पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथों में है। लेकिन मुलायम सिंह का दुनिया को अलविदा कहना अखिलेश और पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का है। क्योंकि पार्टी को खड़ा करने वाले नेता जी ही थे। जब जब पार्टी में फूट हुई मुलायम ने अपनी मुलायम राजनीति से पार्टी को संभाला, इतना ही नहीं वो दो बार सूबे के मुखिया रहे, अपने पुत्र अखिलेश को भी मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन अब नेता जी तो चले गए। ऐसे में अखिलेश क्या करेंगे? इसके लिए हमे कुछ सालों पीछे जाना होगा।
मुलायम के समय कैसा रहा पार्टी का कार्यकाल?
जब मुलायम सिंह साल 1992 से 2017 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे, उस दौर में पांच विधानसभा चुनावों में पार्टी ने चुनाव लड़ा। जब सपा का गठन हुआ था। तब विधानसभा चुनावों में सपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 1996 में दूसरी बार चुनाव हुआ तो पार्टी को 110 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद साल 2002 में पार्टी ने 143 सीटें, साल 2007 में पार्टी कमजोर रही पार्टी को केवल 97 सीटों पर ही जीत मिली। इके बाद पांचवी बार मुलायम सिंह के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। पार्टी ने साल 2012 में 224 सीटों पर जीत हासिल की।
मुलायम के दौर में लोकसभा चुनाव?
1996 में पहली बार सपा ने लोकसभा चुनाव लड़ा था। सपा ने 111 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और इनमें से 16 को जीत मिली थी। 1998 में 166 में से 19, 1999 में 151 में से 26, 2004 में 237 में से 36, 2009 में 193 में से 23 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। 2014 में मोदी लहर में पार्टी का कबाड़ा हो गया, पार्टी को लेकर 5 सीट ही मिली।
अखिलेश ने संभाली कमान
साल 2012 में पूर्ण बहुमत से अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। सीएम बनने के बाद पार्टी में विवाद होने लगे। अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह को हटाकर खुद पार्टी के अध्यक्ष बन गए और मुलायम को पार्टी का संरक्षक बना दिया। अध्यक्ष बनते ही अखिलेश ने चाचा शिवपाल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया। वही शिवपाल यादव ने अपनी नई पार्टी बना ली। इसके बाद जब विधानसभा चुनाव हुए तो पार्टी को भारी नुकसान हुआ, पार्टी को केवल 311 सीटों में से 47 सीटों पर जीत मिली। अखिलेश के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा गया, उस समय अखिलेश ने मायावती से हाथ मिलाया लेकिन 49 सीटों में से केवल पांच सीटे ही मिली। इसके बाद साल 2017 में अखिलेश की पार्टी में कुछ सुधार हुआ और 111 सीटे मिली। फिर इसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव में सपा को कुछ ही सीटे मिली।
मुलायम के निधन पर पार्टी पर क्या होगा असर?
अब बात करते है, कि अब अखिलेश क्यों करेंगे, राजनीतिक जानकारों की माने तो समाजवादी पार्टी के लिए मुलायम सिंह यादव एक मजबूत स्तंभ थे। जब अखिलेश पार्टी के अध्यक्ष थे तब उन्होंने मुलायम सिंह को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। ऐसे में अगर अखिलेश अपने वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर नहीं चले तो आने वाले दिनों में उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा मुलायम सिंह जबतक रहे परिवार में एकजुट रही, अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच मुलायम पुलिया के रूप में काम करते थे। लेकिन अब मुलायम सिंह के जाने के बाद अब अखिलेश और चाचा शिवपाल के संबंध और भी बिगड़ सकते है। ऐसे में अब पार्टी की जिम्मेदारी अखिलेश के कंधों पर है। अखिलेश को अब सबके साथ मिलकर चलना होगा, इसी में उनकी भलाई है। अखिलेश को युवा और बुजुर्ग नेताओं के बीच तालमेल बैठाना होगा। उन्हें अपने पिता की तरह एक पुलिया जैस काम करना होगा। इसके साथ ही उन्हें परिवार में भी एकजुट के साथ रहना होगा।