Mental illness: हमारे शरीर के साथ हमारे दिमाग का भी स्वस्थ रहना जरूरी है। अगर हमारा दिमाग स्वस्थ नहीं रहेगा तो हम अपने शरीर को भी स्वस्थ नहीं रख पाएंगे। भारत समेत दुनिया के कई देशों में माना ही नहीं जाता कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या जैसी कोई चीज भी होती है। वहीं कुछ लोग इसे कुछ ज्यादा ही हल्के में लेते है। लेकिन सच कुछ और ही है। दरअसल, भारत के साथ-साथ लगभग सभी देशों में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं बढ़ती जा रही है। इसमें भारत भी कम नहीं है। दुनिया भर में मानसिक समस्याओं से जूझ रहे नागरिकों में से 15 प्रतिशत भारत में हैं। भारत दिन प्रतिदिन मेंटल हेल्थ से परेशान लोगों का घर बनता जा रहा है। आइए जानते है क्या कहती है स्टडी।
भारत में मानसिक बीमारी का आंकड़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत की जनसंख्या जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसी रफ्तार में भारत में मानसिक बीमारी से जूझने वालो की संख्या भी बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में रह रहे हर 10,000 में से 2,443 लोग मानसिक समस्या से किसी न किसी तरह से ग्रसित हैं। वहीं इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री के द्वारा किए गए सर्वे से पता चला कि देश में औसतन 4 लाख नागरिकों पर 3 ही मनोचिकित्सक हैं जबकि कम से कम हर 4 लाख की आबादी पर 12 मनोचिकित्सक होने चाहिए। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत में मनोचिकित्सक की भारी कमी है।
मानसिक समस्या भी है आत्महत्या की बड़ी वजह
बता दें कि आत्महत्या की बड़ी वजहों में से एक खराब मानसिक स्वास्थ्य भी है। भारत में होंने वाली आत्महत्याओं के कारणो में मानसिक समस्या तीसरे नंबर है। एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 2021 में 13,792 लोगों ने मानसिक बीमारियों से जूझते हुए आत्महत्या की थी।