प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों की मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ वार्ता विफल रही, जिसके बाद छात्रों ने आंदोलन को और वृहद रूप देने की चेतावनी दी है। छात्र संघ के उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ करीब ढाई घंटे चली बैठक पूरी तरह से विफल रही। उन्होंने बताया कि बैठक में 20 छात्र शामिल हुए लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव शामिल नहीं हुईं। उन्होंने बताया कि छात्रों की इस वार्ता में दो सूत्री मांग- पहली 300 प्रतिशत फीस वृद्धि को वापस लेने और दूसरी छात्र संघ को बहाल करने की थी।
समिति का गठन किया जायेगा
इन दोनों मांगों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने चुप्पी साधे रखी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने बताया कि विश्वविद्यालय ने इस वार्ता में फीस वृद्धि का औचित्य बताते हुए दोनों मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि छात्र संघ से जुड़ा मामला उच्च न्यायालय के विचाराधीन है इसलिए इसपर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कुलपति ने पूरा आश्वासन दिया है कि फीस वृद्धि के कारण कोई भी मेधावी गरीब छात्र विश्वविद्यालय में शिक्षा पाने से वंचित नहीं रहेगा और ऐसे छात्रों के लिए अलग से समिति का गठन किया जायेगा।
आंदोलन का स्वरूप और वृहद करेंगे
वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से वार्ता में जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, आईजी और एसएसपी शामिल नहीं थे, बल्कि सिटी मजिस्ट्रेट, एसीएम, एसपी सिटी और क्षेत्राधिकारी ही वार्ता में जिला प्रशासन की ओर से आए थे। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस वार्ता में चेयरपर्सन के तौर पर प्रोफेसर अनामिका राय, रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार, चीफ प्राक्टर, डीएसडब्लू शामिल हुए। अखिलेश यादव ने कहा, “अब हम आंदोलन का स्वरूप और वृहद करेंगे और इस आंदोलन को अन्य विश्वविद्यालयों में भी लेकर जाएंगे।” जिला प्रशासन ने विश्वविद्यालय में चल रहे गतिरोध को दूर करने की दिशा में रविवार को आंदोलनकारी छात्रों की कलेक्ट्रेट में एक बैठक बुलाई थी जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ छात्रों से वार्ता के लिए चार अक्टूबर की तारीख तय की गई थी।
नहीं रहे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद
हालांकि मंगलवार को हुई इस बैठक में जिला प्रशासन की ओर से किसी वरिष्ठ अधिकारी का मौजूद नहीं होना, अपने आप में इस बैठक को लेकर प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर की शिक्षा की फीस प्रति छात्र 975 रुपये प्रतिवर्ष थी जिसे हाल ही में 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 4,151 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ पिछले 28 दिन से आंदोलन कर रहे हैं।