डेस्क न्यूज। बारिश के सीजन में शहर की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे होना आम बात है, लेकिन यदि इन गड्ढों में आपकी बाइक गिरने से रीढ़ की हड्डी में गैप आ जाए तो यह बड़ी परेशानी की वजह बन जाती है। आज हम बात करेंगे कैसे बाइक पर बैठे-बैठे आपकी रीढ़ की हड्डी कमजोर हो रही है। और इसे कमजोर होने से कैसे बचाया जा सकता है।
ऐसे आ जाता है रीढ में गैप
एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्यूट डिस हर्निएशन के मरीजों संख्या में हर वर्ष लगभग दोगुनी बढ़त देखी जा रही है। इनमें 20 से 40 साल की उम्र के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। जांच में इसका मुख्य कारण स्पीड में चल रही बाइक के गढ्ढे में गिरने से रीढ़ की हड्डी पर लगने वाले जोर को माना जा रहा है। दरअसल जब लोग बाइक चला है तो ऐसे में उनके शरीर का पूरा वजन कमर व रीढ़ की हड्डी पर आ जाता है। अचानक बाइक के गहरे गड्ढे में गिरने या तेजी से चलते वक्त गड्ढे में बाइक गिर जाने से पूरा प्रेशर रीढ़ की हड्डी पर पड़ने से रीढ़ की हड्डी में 3 से 6 डिस्क में गैप आ जाता है, जिसके बाद तेज कमर व पीठ के दर्द से असहनीय पीढ़ा होती है।
लगातार कमजोर हो रही है रीढ़
कई लोग यह मानते हैं कि बाइक पर चलने के बाद भी उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने वाली है, लेकिन उनका यह सोचना गलत साबित हो सकता है। दरअसल विशेषज्ञों के अनुसार लगातार बाइक चलाने वालों में रीढ़ की हड्डी कमजोर होने की समस्या अधिक सामने आ रही है। इसका मुख्य कारण सड़कों पर बने ऊंचे-ऊंचे गड्ढे हैं। जान-अनजाने में इन ब्रेकरों या गढ्ढों में बाइक गिर ही जाती है, जिससे धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी कमजोर होती जाती है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता तो यह समस्या बढ़ भी सकती है।
युवाओं को ज्यादा हो रही परेशानी
एक्यूट डिस हर्निएशन के मरीजों के बढ़ने का एक कारण ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर बाइक चलाना, गलत लेटना, गलत तरीके से बैठना भी है। इससे नर्व कम्प्रेशन हो जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी की परेशानी बढ़ा जाती है। कमर व गर्दन दर्द के मरीजों में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है।
यह होती है परेशानी
रीढ़ की हड्डी कमजोर होने से बैक पेन, स्लीप डिस्क, गर्दन में दर्द, कलाई में दर्द, हड्डियों से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं। कंधों की जोड़ व कलाई पर भी जोर पड़ता है। इसके चलते कलाई में दर्द होता है। बाइक के अधिक गहरे गड्ढे गिरने से कंधे के जोड़ की हड्डी तक खिसक सकती है। वहीं बइक चलाते वक्त आंखों पर जोर अधिक पड़ता है, जिससे आंखों में दर्द व सिर दर्द हो सकता है। शरीर की बनावट ऐसी है कि यदि किसी एक हिस्से में कोई परेशानी हो तो कई तरह की शारीरिक दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।
ऐसे करें उपचार
हर वर्ष 5 सितंबर को स्पाइनल कोर्ड इंजरी डे मनाया जाता है। इसके उपचार में देर से स्थायी विकलांगता आ सकती है। यदि इस तरह की किसी समस्या से कोई युव पीढ़ित है तो उसे तत्काल ही नजदीक स्थित हास्पिटल में दिखाना चाहिए। वहीं आयुर्वेद औषधियों और पंचकर्म द्वारा भी इसका इलाज संभव है। वहीं बाइक चलाने और उठने-बैठने के दौरान बरती गई सावधानी से भी इस समस्या से निजात मिल सकती है।
नोट- हम मानते हैं कि आप इस लेख में दिए गए कंटेन्ट को प्रमाणिक न मानें। डाक्टरों-विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।