Employee Family Rights: कर्मचारी के जीवित रहते जितने अधिकार होते है उसके मौत होने के बाद भी परिवार वालों के लिए कई अधिकार होते है जो वे अपने के लिए कंपनी पर दावा कर सकते है। इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे कि, किन -किन फायदों के लिए कर्मचारी के परिजनों को अधिकार होता है। कोरोना काल में कई कर्मचारियों ने नौकरी के दौरान वायरस की वजह से जान गंवाई तो वहीं कईयों ने अपना रोजगार खोया। क्या आपने कभी सोचा है कर्मचारी के कई अधिकारों के लिए परिजन दावा कर सकते है। आइए जानते है-
1- बकाया ( बची हुई ) सैलरी
जैसा कि, मौत कभी भी हो सकती है इस दौरान नौकरी कर रहे कर्मचारी के महीने की सैलरी होती है, जिसमें शामिल बोनस आदि पर मृतक के नॉमिनी यानि परिवार का हक होता है। उसे हक है कि, वे इस राशि को क्लेम में लें ले। यदि इसे लेकर कर्मचारी का कोई नॉमिनी नहीं हो तो ,नॉमिनी न होने पर कानूनी रूप से जो भी वारिस है, उसको दिया जाता है।
2-पीएफ का पैसा
आपको बताते चलें कि, कर्मचारी के परिजन के पास बकाया वेतन लेने का अधिकार तो होता ही है साथ ही कंपनी के कर्मचारी को मिलने वाले पीएफ पर भी कर्मचारी के परिजन क्लेम कर सकते है। यहां पर कर्मचारी का नॉमिनी पीएफ अकाउंट में जमा पूरा पैसा निकाल सकता है. अगर नॉमिनी जिंदा न हो या मृतक कर्मचारी ने किसी को नॉमिनी बनाया ही नहीं हो, तो उसका कानूनी वारिस उस रकम के लिए क्लेम कर सकता है। जिसके लिए नॉमिनी का नाम ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया गया है जिसके बाद ही वह इसका फायदा ले सकता है।
3- पेंशन का फायदा
आपको बताते चलें कि, पेंशन का प्लान हर कर्मचारी के लिए होता है जिसमें कर्मचारी की मौत होने पर ईपीएस की तहत मिलने वाली पेंशन का लाभ मृतक कर्मचारी के जीवनसाथी (पति/पत्नी) को और दो बच्चों को मिल सकता है. लेकिन बच्चों की उम्र 25 साल से कम होनी चाहिए. अगर मृतक का जीवनसाथी जिंदा है तो बच्चों को सिर्फ 25-25 प्रतिशत हिस्सा ही, 25 साल की आयु पूरी होने तक मिलेगा. अगर संतान विकलांग है तो उसे 75 फीसदी हिस्सा जीवनभर मिल सकता है। कर्मचारी की शादी नहीं होने की स्थिति में यह क्लेम पर माता-पिता का हक होता है।
4- ग्रैच्युटी
अगर कर्मचारी को किसी कंपनी में काम करते हुए 5 साल या इससे ज्यादा समय हो गया है, तो वो ग्रैच्युटी का हकदार होता है. उसकी मौत हो जाने पर नॉमिनी ग्रैच्युटी की रकम का हकदार है. ग्रैच्युटी की रकम उसकी सैलरी और नौकरी के सालों के हिसाब से तय होती है. कंपनी चाहे तो तय रकम से ज्यादा भी दे सकती है. लेकिन नियम के मुताबिक 20 लाख रुपए से ज्यादा ग्रैच्युटी नहीं दी जा सकती. अगर नॉमिनी न हो, तो कानूनी वारिस को ये रकम दी जाती है।
5- कर्मचारी बीमा योजना का लाभ
आपको बताते चलें कि, ईपीएफ अकाउंट होल्डर्स सैलरी के मुताबिक उसका बीमा कराया जाता है. ये बीमा ढाई लाख से लेकर सात लाख तक हो सकता है. बीमा की रकम कर्मचारी की सैलरी से कटती है. इसलिए कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार के लोग बीमा की इस रकम के लिए क्लेम कर सकते हैं।