Olympic Flame : ओलंपिक खेलों को दुनिया के खेलों का महाकुंभ माना जाता है इसक अपना एक अलग ही विशेष महत्व है। ये खेल हर 4 साल में कराया जाता है, जिसमें कई देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खेलों के महाकुभ से संबंधित कई रोचक तथ्य भी हैं। ऐसे ही एक तथ्य की बात करें, तो ओलंपिक खेलों में मशाल जलाने (Olympic Flame) की परंपरा है, इसकी शुरूआत कब हुई तथा इसके पीछे क्या कारण है। आइए जानते है।
क्यों जलाई जाती है मशाल? (Olympic Flame)
ओलंपिक खेलों में मशाल (Olympic Flame) जलाने की प्रथा बहुत पुरानी है। यह मशाल सूर्य की किरणों से जालाई जाती है। अगर इसके पीछे के कारण की बात तो इसके पीछे का कारण यह है कि ऐसा माना जाता है कि सूर्य की किरणें बहुत पवित्र होती है। इसी कारण सूर्य की किरणों से मशाल (Olympic Flame) जलाकर इन खेलों की शुरूआत की जाती है।
मशाल जलाने का इतिहास? (Olympic Flame)
ओलंपिक खेलों में मशाल (Olympic Flame) जलाने के इतिहास की बात करें, तो आधुनिक ओलंपिक में पहली बार 1936 के बर्लिन के ओलंपिक खेलों में मशाल (Olympic Flame) यात्रा की शुरूआत की थी। 1952 के ओस्लो ओलंपिक में मशाल (Olympic Flame) ने पहली बार हवाई मार्ग से यात्रा की। 1956 के स्कॉटहोम ओलंपिक में घोड़े की पीठ पर मशाल (Olympic Flame) यात्रा संपन्न की गई।
यह भी बता दें कि 1936 में यह मशाल (Olympic Flame) ओंलपिया शहर से जलाई गई तथा इसको ओलंपिक की मेजबानी करने वाले देश तक पहुंचाने की शुरूआत की गई। अगर ओलंपिक खेलों की शुरूआत की बात करें, तो इन खेलों की शुरूआत 1896 में यूनान की राजधानी एंथेस से हुई थी। लेकिन उस समय से ओलंपिक खेलों में मशाल (Olympic Flame) जलाने की प्रथा नहीं थी।