Skin Diseases: सोरायसिस जो की एक प्रकार का चर्म रोग है यह इस समय कई लोगों को होता जा रहा है। बात करें पिछले 10 सालों की तो पिछले 10 सालों में भारत में यह कई लोगों को हुआ है और इसके लिए कई सारे कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं की आखिर सोरायसिस होता क्या है और क्यों होता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से सोरायसिस के विषय में शुरू से लेकर अंत तक सारी जानकारी देने वाले हैं।
कई लोगों को जिनको सोरायसिस होता है, उनको इस विषय में अच्छी जानकारी होती है वह इस विषय में बहुत कुछ जान लेते हैं, समझ लेते हैं परन्तु कई लोग ऐसे है जिनको इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं होती है तो आज हम उन सब को भी इस विषय में खासा ज्ञान देने वाले हैं। तो चलिए अब जान लेते हैं सोरायसिस के बारे में-
सोरायसिस होता क्या है-
सबसे पहले बात करते हैं की सोरायसिस होता क्या है। सोरायसिस एक ऑटोइम्यून डिजीज होता है। ऑटोइम्यून डिजीज एक ऐसी सिच्वेशन(परिस्थिति) होती है जब किसी जीव कि कोशिकाएं उसी जीव के ऊपर हमला करने लगें। सोरायसिस जब होता है तो जिस स्थान में सोरायसिस होता है उस स्थान में खुजली, लालपन, जलन के साथ-साथ उस स्थान की चमड़ी डेड होकर गिरने लगती है। अब सवाल यह उठता है कि चमड़ी डेड होकर क्यों गिर रही है तो यहीं पर ऑटोइम्यून डिजीज शब्द का प्रयोग होता है क्योंकि जीव के शरीर की कोशिकाएं ही उसके शरीर में हमला करती हैं और उस स्थान की चमड़ी डेड हो जाती है और इसी लिए सोरायसिस वाले स्थान में खुजली, जलन के साथ-साथ चमड़ी गिरती रहती है
सोरायसिस कितने प्रकार का होता है-
वैसे तो सोरायसिस कई प्रकार के होते हैं परन्तु यहाँ पर हम आपको कुछ मुख्य प्रकार के सोरायसिस के बारे बता रहे हैं-
- प्लेक सोरायसिस-
8-10 प्रतिशत लोगों में होने वाली इस समस्या के कारण शरीर पर सिल्वर और सफेद रंग की लाइन बन जाती है। कोहनी, घुटने, स्कैल्प और पीठ मे नीचे होने वाला इस सोरायसिस से लाल धब्बे और जलन होने लगती है। - गटेट या चित्तीदार सोरायसिस-
युवाओं में पाया जाने वाला ये सोरायसिस शरीर पर छोटे गुलाबी चित्ती सी उभर कर आती है। यह समस्या ज्यादातर बाजू, कोहनी और स्कैल्प पर पाई जाती है। इसमें तनाव, त्वचा में खुजली और दवाइयों का रिएक्शन होने लगता है। ज्यादातर मामलों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है परन्तु कई बार ऐसा होता है कि यह समस्या ठीक नहीं होती है तो दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है। - नेल सोरायसिस
हाथों-पैरों के नाखूनों पर होने वाली यह समस्या अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में होती है। इसके कारण नाखून मे दर्द, नाखूनों के रंग में बदलाव, नाखूनों के अंदर चॉक जैसा तत्व भर जाता है। ज्यादातर यह समस्या फंगल इंफेक्शन के कारण होती है।
सोरायसिस क्यों होता है-
सोरायसिस क्यों होता है अभी तक वैज्ञानिकों को इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, इसी लिए स्पष्टता के साथ यह नहीं कहा जा सकता है की आखिर सोरायसिस होता क्यों है परन्तु अक्सर देखा गया है की विरूद्ध आहार से, ज्यादा फ़ास्ट फ़ूड खाने से, नींद पूरी नहीं होने से, ज्यादा दवाइयाँ खाने, शरीर को साफ़ नहीं रखने से आदि से सोरायसिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
कई लोगों में सोरायसिस कि समस्या जेनेटिक होती है अतः उनको यह समस्या उनके माता या पिता से मिली होती है और इस तरह के सोरायसिस के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं।
किस प्रकार की दवाइयाँ लेनी चाहिए-
वैसे तो सोरायसिस के लिए एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक तीनों ही चिकित्सा पद्धति में इसका इलाज हो जाता है, ऐसा दवा किया जाता है परन्तु अक्सर ऐसा देखा गया है की एलोपैथी में इसका स्थाई इलाज नहीं होता है केवल जब तक आप एलोपैथी दवाइयाँ खाते हैं तभी तक आराम मिलता है इसके बाद सोरायसिस फिर वापस आ जाता है इसी लिए सोरायसिस के इलाज के लिए होमोयोपैथी और आयुर्वेदिक इलाज स्थाई इलाज माना जाता है बस इसमें एक समस्या होती है की इन पद्द्थिति में इलाज थोड़ा लम्बा चलता है परन्तु एक बार सम्पूर्ण इलाज करवाने के बाद आपका सोरायसिस हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।